Quote of Harishankar Parsai हरिशंकर परसाई के कोट्स उद्धरण
हरिशंकर परसाई के कोट्स उद्धरण
- बेइज़्ज़ती में अगर दूसरे को भी शामिल कर लो तो आधी इज़्ज़त बच जाती है।
- सारी दुनिया ग़लत है। सिर्फ़ मैं सही हूँ, यह अहसास बहुत दुख देता है।
- अच्छा भोजन करने के बाद मैं अक्सर मानवतावादी हो जाता हूँ।
- पागलपन को गर्वपूर्वक वहन करना है तो उसे किसी दर्शन का आधार अवश्य चाहिए।
- मैंने ऐसे आदमी देखे हैं, जिनमें किसी ने अपनी आत्मा कुत्ते में रख दी है, किसी ने सूअर में। अब तो जानवरों ने भी यह विद्या सीख ली है और कुछ कुत्ते और सूअर अपनी आत्मा किसी आदमी में रख देते हैं।
- अद्भुत सहनशीलता है इस देश के आदमी में! और बड़ी भयावह तटस्थता! कोई उसे पीटकर पैसे छीन ले, तो वह दान का मंत्र पढ़ने लगता है।
- इस देश में लड़की के दिल में जाना हो, तो माँ-बाप के दिल की राह से जाना होता है।
- एक पीढ़ी अपना लाभ देखकर आगामी सब पीढ़ियों का भविष्य बिगाड़ने की क्रिया में लगी है।
- कुसंस्कारों की जड़ें बड़ी गहरी होती हैं।
- पता नहीं यह परंपरा कैसी चली कि भक्त का मूर्ख होना ज़रूरी है।
- जो प्रेमपत्र में मूर्खतापूर्ण बातें न लिखे, उसका प्रेम कच्चा है, उस पर विश्वास नहीं करना चाहिए। पत्र जिनता मूर्खतापूर्ण हो, उतना ही गहरा प्रेम समझना चाहिए।
- ईमानदारी कितनी दुर्लभ है कि कभी-कभी अख़बार का शीर्षक बनती हैं।
- इस क़ौम की आधी ताक़त लड़कियों की शादी करने में जा रही है। पाव ताक़त छिपाने में जा रही है—शराब पीकर छिपाने में, प्रेम करके छिपाने में, घूस लेकर छिपाने में...बची हुई पाव ताक़त से देश का निर्माण हो रहा है तो जितना हो रहा है, बहुत हो रहा है। आख़िर एक चैथाई ताक़त से कितना होगा।
- सत्य की खोज कई लोगों के लिए ऐयाशी है। यह ग़रीब आदमी की हैसियत के बाहर है।
- जूते खा गए—अज़ब मुहावरा है। जूते तो मारे जाते हैं। वे खाए कैसे जाते है? मगर भारतवासी इतना भुखमरा है कि जूते भी खा सकता है।
- नेता हो जाना बड़ा अच्छा धंधा है।
- जो पानी छानकर पीते हैं, वे आदमी का ख़ून बिना छना पी जाते हैं।
- रोटी खाने से ही कोई मोटा नहीं होता, चंदा या घूस खाने से होता है। बेईमानी के पैसे में ही पौष्टिक तत्त्व बचे हैं।
- नशे के मामले में हम बहुत ऊँचे हैं। दो नशे ख़ास हैं—हीनता का नशा और उच्चता का नशा, जो बारी-बारी से चढ़ते रहते हैं।
- शासन का घूँसा किसी बड़ी और पुष्ट पीठ पर उठता तो है, पर न जाने किस चमत्कार से बड़ी पीठ खिसक जाती है और किसी दुर्बल पीठ पर घूँसा पड़ जाता है।
- निंदा का उद्गम ही हीनता और कमज़ोरी से होता है।
- गिरे हुए आदमी की उत्साहवर्धक भाषण देने की अपेक्षा सहारे के लिए हाथ देना चाहिए।
- कॉन्फ्रेंस ‘‘शब्द’’ ‘‘सम्मेलन’’ से लगभग 10 गुना गरिमा वाला होता है, क्योंकि सम्मेलन छोटे पढ़ाने वालों का होता है और ‘‘सेमिनार तथा कॉन्फ्रेंस’’ बड़े पढ़ाने वालों का।
- दुनिया के पगले शुद्ध पगले होते है—भारत के पगले आध्यात्मिक होते हैं।
- इज़्ज़तदार आदमी ऊँचे झाड़ की ऊँची टहनी पर दूसरे के बनाए घोंसले में अंडे देता है।
- प्रतिभा पर थोड़ी गोंद तो होनी चाहिए। किसी को चिपकाने के लिए कोई पास से गोंद थोड़े ही ख़र्च करेगा।
- छोटा आदमी हमेशा भीड़ से कतराता है। एक तो उसे अपने वैशिष्ट्य के लोप हो जाने का डर बना रहता है, दूसरे कुचल जाने का।
- दूसरे के मामले में हर चोर मजिस्ट्रेट हो जाता है।
- वास्तव में—मालिक का दर्जा ईश्वर के पास ही है। ईश्वर ने सृष्टि रची, बनाई, आकाश बनाया लेकिन मकान नहीं बनाए। मनुष्य पृथ्वी पर खुले आकाश के नीचे तो रह नहीं सकता था। तब मकान मालिकों ने मनुष्यों के रहने के लिए मकान बनाए। जो किराए के लिए मकान बनवाते हैं, वे ईश्वर के समान ही पूज्य हैं। पर इस बात को बहुत कम किरायेदार समझते है।
- आदमी को समझने के लिए सामने से नहीं, कोण से देखना चाहिए। आदमी कोण से ही समझ में आता है।
- युद्ध सफलता से तभी लड़ा जा सकता है जब उसका सही कारण जनता को मालूम न हो।
- समाजवाद को समाजवादी ही रोके हुए हैं।
- मित्रता की सच्ची परीक्षा संकट में नहीं उत्कर्ष में होती है। जो मित्र के उत्कर्ष को बर्दाश्त कर सके, वही सच्चा मित्र होता है।
- अगर दो साईकिल सवार सड़क पर एक-दूसरे से टकराकर गिर पड़ें तो उनके लिए यह लाज़िमी हो जाता है कि वे उठकर सबसे पहिले लड़ें फिर धूल झाड़े। यह पद्धती इतनी मान्यता प्राप्त कर चुकी है कि गिरकर न लड़ने वाला साईकिल सवार बुजदिल माना जाता है, क्षमाशील संत नहीं।
- यह कितना बड़ा झूठ है कि कोई राज्य दंगे के कारण अंतर्राष्ट्रीय ख़्याति पाए, लेकिन झाँकी सजाए लघु उद्योगों की। दंगे से अच्छा गृह-उद्योग तो इस देश में दूसरा है नहीं।
- मैं लेखक छोटा हूँ, पर संकट बड़ा हूँ।
- इस देश के युवको को प्रेम पर मरना भी तो नहीं आता। प्रेम में मरेंगे तो घिनापन से। मरते किसी और कारण से है, मगर सोचते है कि प्रेम पर मर रहे हैं।
- साहित्य में बंधुत्य से अच्छा धंधा हो जाता।
- एम.ए. करने से नौकरी मिलने तक जो काम किया जाता है, उसे रिसर्च कहते हैं।
- नारी मन से ख़ुब प्यार करके भी, ऊपर से निरपेक्ष भाव बनाए रख सकती है। यह छल नहीं है, उसकी प्रकृति है।
- पाठ्यपुस्तक से ज़्यादा कुंजी बिकती है।
- सबसे विकट आत्मविश्वास मूर्खता का होता है।
- गाँधी जी ने खादी का धोती-कुर्ता पहनकर और नेहरू ने जाकेट पहनकर कई पीढ़ियों के लिए मुख्य अथिति की बनावट तय कर दी थी।
- पिजड़े में बंद परिंदे, आज़ाद पक्षी को घायल होते देखकर बड़े प्रसन्न होते हैं, क्योंकि उनकी घुटन से उत्पन्न हीनता की भावना को शांति मिलती है।
- कुछ के ज़िंदा होने का एहसास सिर्फ़ जन्म-दिन पर होता है।
- सत्य को भी प्रचार चाहिए, अन्यथा वह मिथ्या मान लिया जाता है।
- मुसीबत का यही स्वभाव है कि आदमी को अपने ही से लड़ने के लिए शक्ति दे देती है।
- इनकमटैक्स-विभाग के ईमानदार और शिक्षा-विभाग के ईमानदार में फ़र्क़ होता है- गो ईमानदार दोनों है।
- जो अपने युग के प्रति ईमानदार नहीं है, वह अनंतकाल के प्रति क्या ईमानदार होगा!
- हर लड़का बाप से आगे बढ़ना चाहता है। जब वह देखता है कि चतुराई में यह आगे नहीं बढ़ सकता तो बेवकूफ़ी में आगे बढ़ जाता है।
- कुत्ते भी रोटी के लिए झगड़ते हैं, पर एक के मुँह में रोटी पहुँच जाए जो झगड़ा ख़त्म हो जाता है। आदमी में ऐसा नहीं होता।
- जो अपने युग के प्रति ईमानदार नहीं है, वह अनंतकाल के प्रति क्या ईमानदार होगा!
- इनकमटैक्स-विभाग के ईमानदार और शिक्षा-विभाग के ईमानदार में फ़र्क़ होता है- गो ईमानदार दोनों है।
- पुल पार उतरने के लिए नहीं, बल्कि उद्घाटन के लिए बनाए जाते हैं। पार उतरने के लिए उसका उपयोग हो जाता है, प्रासंगिक बात है।
- गणतंत्र ठिठुरते हुए हाथों की तालियों पर टिकी है। गणतंत्र को उन्हीं हाथों की ताली मिलती है, जिनके मालिक के पास हाथ छिपाने के लिए गर्म कपड़ा नहीं है।
- एम.ए. करने से नौकरी मिलने तक जो काम किया जाता है, उसे रिसर्च कहते हैं।
- लड़की का जीवन अपना नहीं होता, विवाह के पहले बाप के आधिकार में होता है और विवाह के बाद पति के।
- कोट आदमी की इज़्ज़त भी बचाता है। और क़मीज़ की भी।
- हमारे यहाँ जिसकी पूजा की जाती है उसकी दुर्दशा कर डालते है। यह सच्ची पूजा है।
- हमारे इस विशाल भारत देश में नेता वही होता है जो ज़ोर से बोले या खिलाए-पिलाए।
- राजधानी की एक आँख हमारी लाख आँखों से तेज़ होती है। जब वह खुलती है हमारी चौंधिया जाती है।
- आत्मकथा में सच छिपा लिया जाता है।
- तर्क से यदि प्रेम टूटता हो, तो कभी किसी का प्रेम ही नहीं हुआ होता। भविष्य को देखकर तो व्यापार होता है, प्रेम नहीं होता।
- 24-25 साल के लड़के-लड़की को भारत की सरकार बनाने का अधिकार तो मिल चुका है, पर अपने जीवन-साथी बनाने का अधिकार नहीं मिला।
- विश्वास जितना पक्का होता है, उसके टूटने में उतना ही दर्द होता है। हिलता हुआ दाँत एक झटके में बाहर आ जाता है, पर जमा हुआ दाँत जब ‘‘डेंटिस्ट’’ निकलता है, तो सारे शरीर को हिला देता है।
- इस देश में जो जिसके लिए प्रतिवाद है, वही उसे नष्ट कर रहा है।
- ग़रीब आदमी न तो ऐलोपैथी से अच्छा होता है, न होमियोपैथी से, उसे तो ‘‘सिम्पैथी’’ (सहानुभूति) चहिए।
- एक प्रेम का घाव भी दूसरे प्रेम के मरहम से भर जाता है।
- प्रेम में ठगना ज़रूरी है। जब प्रेम बहुत गहरा हो जाता है, तब प्रेमिका प्रेमी को छलिया, कपटी और ठग कहने लगती है। जो जितना बड़ा ठग होगा, वह उतना ही बड़ा प्रेमी।
- मुझे सुलझे विचारों ने बार-बार मारा है।
- ग़रीब आदमी के घर के कला और संस्कृति की बातें नहीं होती। भूखे की कला संस्कृति और दर्शन पेट के बाहर कहीं नहीं होते।
- पैसा खाने वाला सबसे डरता है। जो सरकारी कर्मचारी जितना नम्र होता है, वह उतने ही पैसे खाता है।
- सिर नीचा करके चोर की नज़र डालने की अपेक्षा, माथा, ऊँचा करके, ईमानदारी की दृष्टि डालना, अधिक अच्छा है।
- घाव अच्छी जगह हो और सजा हुआ, तो बड़े लाभ होते हैं।
- जो देश का काम करता है, उसे थोड़ी बदतमीज़ी का हक़ है। देश सेवा थोड़ी बदतमीज़ी के बिना शोभा नहीं देती।
- साहित्य का काम अच्छी दूकान का अच्छी नौकरी लगने तक ही होता है।
- हर कुत्ता जन्म से ही आत्मज्ञानी होता है। वह जानता है कि मैं कुत्ता हूँ और मेरा काम भौंकना है। कई लोग अपने कुत्ते को ‘‘टायगर’’ कहते है, पर कुत्ता अपने को कभी शेर नहीं समझता, वह अपने सच्चे स्वरूप को पहचानता है।
- अन्याय के विरुद्ध जिसकी आवाज़ बुलंद नहीं होता, वह लेखक या कलाकार नहीं बन सकता।
- फूल की मार बुरी होती है। शेर को अगर किसी तरह एक फूलमाला पहना दो तो गोली चलाने की ज़रूरत नहीं है। वह फ़ौरन हाथ जोड़कर कहेगा—मेरे योग्य कोई और सेवा।
- जिस आदमी को ख़ुश रखना है, उसकी बीमारी में रोज़ उससे मिलने जाना चाहिए।
- रेलवे में घूस लेना इस क़दम कानूनी हो गया है कि अगर कोई घूस न दे तो उस पर रेल बाबू दीवानी का मुक़दमा दायर करने की भी एक बार सोचता है।
- हम सब ग़लत किताबों की पैदावार है।
- जनता उन मनुष्यों को कहते है जो वोटर है और जिनके वोट से विधायक मंत्री बनते हैं। इस पृथ्वी पर जनता की उपयोगिता कुल इतनी है कि उसके वोट से मंत्री मंडल बनते है। अगर जनता के बिना सरकार बन सकती है, तो जनता की कोई ज़रूरत नहीं है।
- आदमी की शक्ल में कुत्ते से नहीं डरता। उनसे निपट लेता हूँ। पर सच्चे कुत्ते से बहुत डरता हूँ।
- किराए पर देने के लिए जब मकान बनबाया जाता है तो ख़ास ख़्याल रखा जाता है कि किरायेदार को भूल से भी कहीं कोई सुविधा न मिल जाए। रेडियों नाटक की तरह।
- जिसकी बात के एक से अधिक अर्थ निकलें वह संत नहीं होता, लुच्चा आदमी होता है। संत की बात सीधी और स्पष्ट होती है और उसका एक ही अर्थ निकलता है।
- कोई भी भाषा अनपढ़ों के हाथों में सुरक्षित रहती है।
- लेखकों को मेरी सलाह है कि ऐसा सोचकर कभी मत लिखो कि मैं शाश्वत लिख रहा हूँ। शाश्वत लिखने वाले तुरंत मृत्यु को प्राप्त होते हैं। अपना लिखा जो रोज़ मरता देखते हैं, वही अमर होते हैं।
- अभिनंदन में और रचनावली प्रकाशित करने में कभी इसलिए भी जल्दी की जाती है कि लेखक बीमार रहने लगा है—न जाने कब टें बोल जाए। इसलिए समय रहते, इसका कुछ कर डालो।
- सत्य शुभ हो, काला हो, सफ़ेद हो—साहित्य उसी से बनता है।
- वे कितने सुखी हैं, जिन्हे सपने नहीं आते। मुझे लगने लगा है। वहीं गहरी सुख की नींद सोता है, जिसे सपने नहीं आते।
- वोट देने वाले से लेकर साहित्य-मर्मज्ञ ता जाति का पता पहले लगाते हैं।
- 1बजे से 3 बजे तक तो सारा राष्ट्र ऊँघता है।
- इस देश के आदमी की मानसिकता ऐसी कर दी गई है कि अगर उसका भला भी करो, तो उसे शक होता है कि किसी और का भला किया गया है।
- इस देश का आदमी मूर्ख है। अन्न खाना चाहता है। भूखमरी के समाचार नहीं खाना चाहता है।
- जब यह कहा जाए कि स्त्री बाहर निकले, तब यह अर्थ होता है कि दूसरों की स्त्रियाँ निकलें, अपनी नहीं।
- जिन सवालों के जवाब तकलीफ़ दें उन्हें टालने से आदमी सुखी रहता है।
- जनता कच्चा माल है। इससे पक्का माल विधायक, मंत्री आदि बनते है पक्का माल बनने के लिए कच्चे माल को मिटना ही पड़ता है।
- मूर्ख से-मूर्ख आदमी तब बुद्धिमान हो जाता है जब उसकी शादी पक्की हो जाती है।
- मुझे ज्ञानियों ने लगातार सलाह दी कि कुछ शाश्वत लिखो। ऐसा लिखो, जो अमर रहे। ऐसी सलाह देने वाले कभी के मर गए। मैं ज़िंदा हूँ, क्योंकि जो मैं आज लिखता हूँ, कल मर जाता है।
- सचेत आदमी सीखना मरते दम तक नहीं छोड़ता। जो सीखने की उम्र में ही सीखना छोड़ देते हैं, वे मूर्खता और अहंकार के दयनीय जानवर हो जाते हैं।
Quote of Harishankar Parsai
- Beizzatī mein agar doosre ko bhi shāmil kar lo to ādhī izzat bach jātī hai.
- Sārī duniya ghalat hai. Sirf main sahi hoon, yeh ahsās bahut dukh deta hai.
- Acchā bhojan karne ke baad main aksar mānavtāvādī ho jātā hoon.
- Pāgalpan ko garvpoork wahem karna hai to usse kisi darshan ka ādhār avashyak chahiye.
- Maine aise ādmī dekhe hain, jinhon ne apnī ātmā kutte mein rakh dī hai, kisī ne suwar mein. Ab to janwaron ne bhi yeh vidyā seekh lī hai aur kuch kutte aur suwar apnī ātmā kisī ādmī mein rakh dete hain.
- Adbhut sahansheelta hai is desh ke ādmī mein! Aur baṛī bhayāvah taṭasthta! Koi usse pīṭ kar paise chīn le, to woh dān ka mantra paṛhne lagtā hai.
- Is desh mein ladkī ke dil mein jānā ho, to māṁ-baap ke dil kī rāh se jānā hotā hai.
- Ek peedhī apnā lābh dekh kar āgāmī sab peedhiyon kā bhavishya bigāṛne ki kriyā mein lagī hai.
- Kusanskaron kī jaden baṛī gehri hotī hain.
- Pata nahī yeh paramparā kaisī chalī ki bhakt kā mūrkh honā zarūrī hai.
- Jo prem-patr mein mūrkhtāpurn baatein na likhe, uska prem kacchā hai, us par vishwās nahī karna chahiye. Patra jitnā mūrkhtāpurn ho, utnā hī gahra prem samajhnā chahiye.
- Īmāndārī kitnī durlabh hai ki kabhi-kabhi akhbar kā shirshak ban jātī hai.
- Is qaum kī ādhī tāqat ladkiyon kī shaadi karne mein ja rahi hai. Pāv tāqat chhupāne mein ja rahi hai—sharāb pi kar chhupāne mein, prem kar ke chhupāne mein, ghūs lekar chhupāne mein... bachī huī pāv tāqat se desh kā nirmān ho rahā hai to jitnā ho rahā hai, bahut ho rahā hai. Ākhir ek chauthāī tāqat se kitnā ho sakta hai.
- Saty kī khoj kai logon ke liye aiyāshī hai. Yeh garīb ādmī kī haisiyat ke bāhar hai.
- Jūte khā ga'e—azab muhāvara hai. Jūte to māre jātē hain. Ve khāe kaise jātē hain? Magar Bhāratvāsī itnā bhukhmarā hai ki jūte bhi khā sakta hai.
- Netā ho jānā baṛā acchā dhanḍā hai.
- Jo pānī chhān kar pīte hain, ve ādmī kā khoon binā chhānā pī jātē hain.
- Rotī khāne se hī koī moṭā nahī hotā, chandā yā ghūs khāne se hotā hai. Beīmānī ke paise mein hī pōṣṭik tattv bache hain.
- Nashē ke māmlē mein ham bahut ūnchē hain. Do nashē khās hain—hīntā kā nashā aur ūchhtā kā nashā, jo bārī-bārī se chaṛhtē rahte hain.
- Shāsan kā ghūnsā kisī baṛī aur pusht pīṭh par uṭhtā to hai, par na jāne kis chamatkār se baṛī pīṭh khisk jātī hai aur kisī durbal pīṭh par ghūnsā paṛ jātā hai.
- Nindā kā udgām hī hīntā aur kamzorī se hotā hai.
- Gire huē ādmī kī utsāhvardhak bhāṣaṇ dene kī apeksā sahārē ke liye hāth denā chāhiye.
- Conference "shabd" "sammelan" se lagbhag 10 guna garimā wālā hotā hai, kyonki sammelan chhote paṛhānē wālon kā hotā hai aur "seminār tathā conference" baṛē paṛhānē wālon kā.
- Duniyā ke pagle shuddh pagle hote hain—Bhārat ke pagle ādhyaatmik hote hain.
- Izzatdār ādmī ūnchē jhāṛ kī ūnchī ṭahanī par doosre ke banāe ghonsle mein aṇḍe detā hai.
- Pratibhā par thodī gonḍ to honī chāhiye. Kisī ko chipkānē ke liye koī paas se gonḍ thodē hī kharch karegā.
- Chhota ādmī hamesha bhīṛ se katrātā hai. Ek to usē apnī vaiśishtya ke lop ho jaane kā dar banā rahtā hai, doosrā kuchal jaane kā.
- Doosre ke māmlē mein har chor magistrate ho jātā hai.
- Vāstav mein—mālīk kā darjā īśwar ke paas hī hai. Īśwar ne sṛṣṭi rachī, banāī, ākaś banāyā lekin makān nahī banāye. Manushya prithvī par khule ākaś ke neeche to rah nahī sakta thā. Tab makān mālikon ne manushyon ke rahne ke liye makān banāye. Jo kirāye ke liye makān banwāte hain, ve īśwar ke samān hī pūjya hain. Par is bāt ko bahut kam kirāyēdār samajhte hain.
- Ādmī ko samajhnē ke liye sāmanē se nahī, koṇ se dekhna chāhiye. Ādmī koṇ se hī samajh mein āta hai.
- Yuddh safaltā se tabhī laṛā ja sakta hai jab uska sahī kāraṇ janta ko mālūm na ho.
- Samājvād ko samājvādī hī rokē huye hain.
- Mitratā kī sachchī parīkṣā sankat mein nahī, utkṛṣṭh mein hotī hai. Jo mitr ke utkṛṣṭh ko bardāṣht kar sake, wahī sachchā mitr hotā hai.
- Agar do cycle sāwar saṛak par ek-dūsre se takrā kar gir paṛen to unke liye yah lāzīmī ho jātā hai ki ve uṭh kar sabse pahile laṛen phir dhūl jhāṛen. Yah paddhati itnī mānyatā prāpt kar chukī hai ki gir kar nahī laṛne wālā cycle sāwar bujhdil mānā jātā hai, kṣamāśīl sant nahī.
- Yeh kitnā baṛā jhūṭh hai ki koī rājyā dangon ke kāraṇ antarrāṣhṭrīya khyāti pāe, lekin jhāṅkī sajāye laghu udyogon kī. Dange se acchā gruh-udyog to is desh mein doosrā hai nahī.
- Main lekhak chhota hoon, par sankat baṛā hoon.
- Is desh ke yuvo ko prem par marna bhi to nahī aata. Prem mein marenge to ghināpan se. Marte kisi aur kāraṇ se hai, magar sochte hain ki prem par mar rahe hain.
- Sāhitye mein bandhuty se acchā dhanḍā ho jātā.
- M.A. karne se naukrī milne tak jo kām kiyā jātā hai, use research kehte hain.
- Nāri man se khub pyār karke bhi, ūpar se nirpekṣ bhāv banāe rakh sakti hai. Yeh chal nahī hai, uski prakṛti hai.
- Pāṭhyapustak se zyada kunjī bikti hai.
- Sabse vikat ātmavishwās mūrkhtā kā hotā hai.
- Gāndhī jī ne khādī kā dhotī-kurtā pehankar aur Nehrū ne jākṭ pehankar kai pīṛhiyon ke liye mukhya athīti kī banāwat tay kar dī thī.
- Pijre mein band parinde, āzād pakṣī ko gha'īl hote dekhkar baṛe prasann hote hain, kyonki unki ghuṭan se utpann hīntā kī bhāvanā ko śānti miltī hai.
- Kuch ke zindā hone ka ehsaas sirf janm-din par hotā hai.
- Saty ko bhi prachār chāhiye, anyathā wah mithyā mān liyā jātā hai.
- Musībat kā yahi swabhāv hai ki ādmī ko apne hī se laṛne ke liye śakti de detī hai.
- Income tax-vibhāg ke īmāndār aur shikṣā-vibhāg ke īmāndār mein farq hotā hai—go īmāndār dono hain.
- Jo apne yug ke prati īmāndār nahī hai, wah anantkāl ke prati kyā īmāndār hogā!
- Har ladkā bāp se āge baṛhnā chāhtā hai. Jab wah dekh'tā hai ki chaturāī mein yah āge nahī baṛh sakta to bevkūfī mein āge baṛh jātā hai.
- Kutte bhi rotī ke liye jhagṛte hain, par ek ke muh mein rotī pahunch jaye jo jhagadā khatam ho jātā hai. Ādmī mein aisā nahī hotā.
- Jo apne yug ke prati īmāndār nahī hai, wah anantkāl ke prati kyā īmāndār hogā!
- Income tax-vibhāg ke īmāndār aur shikṣā-vibhāg ke īmāndār mein farq hotā hai—go īmāndār dono hain.
- Pul pār utarne ke liye nahī, balki udghāṭan ke liye banāye jātē hain. Pār utarne ke liye uska upayog ho jātā hai, prāsangik bāt hai.
- Ganatantra thithurte hue hāthon kī tāliyon par ṭikī hai. Ganatantra ko unhī hāthon kī tālī miltī hai, jinke mālik ke paas hāth chhupāne ke liye garm kapṛa nahī hai.
- M.A. karne se naukrī milne tak jo kām kiyā jātā hai, use research kehte hain.
- Ladki kā jeevan apnā nahī hotā, vivāh ke pehle bāp ke ādhikār mein hotā hai aur vivāh ke baad pati ke.
- Kot ādmī kī izzat bhi bachātā hai. Aur kamīz kī bhi.
- Hamāre yahān jiski pūjā kī jātī hai uski durdashā kar ḍālte hain. Yeh sachchī pūjā hai.
- Hamāre is viśāl Bhārat desh mein netā wahī hotā hai jo zor se bole yā khilāe-pilāe.
- Rājdhānī kī ek ānkh hamārī lākh ānkhon se tez hotī hai. Jab wah khultī hai hamārī chauṅḍhiyā jātī hai.
- Ātmakathā mein sach chhipā liyā jātā hai.
- Tark se agar prem ṭūṭtā ho, to kabhī kisī kā prem hī nahī hotā. Bhaviṣya ko dekhkar to vyāpār hotā hai, prem nahī hotā.
- 24-25 sāl ke ladke-ladki ko Bhārat kī sarkār banāne kā adhikār to mil chukā hai, par apne jeevan-sāthī banāne kā adhikār nahī milā.
- Vishwās jitnā pakkā hotā hai, uske ṭūṭnē mein utnā hī dard hotā hai. Hilta huā dānt ek jhatkē mein bāhir ā jātā hai, par jamā huā dānt jab "dentist" nikalta hai, to sāre sharīr ko hilā detā hai.
- Is desh mein jo jis ke liye prativād hai, wahī use naṣṭ kar rahā hai.
- Gharib ādmī na to aelopathy se acchā hotā hai, na homeopathy se, use to "sympathy" (sāhānubhūti) chāhiye.
- Ek prem kā ghāv bhi doosre prem ke marham se bhar jātā hai.
- Prem mein ṭhagnā zarūrī hai. Jab prem bahut gehra ho jātā hai, tab premikā premī ko chhaliyā, kapṭī aur ṭhag kehne lagti hai. Jo jitnā baṛā ṭhag hogā, wah utnā hī baṛā premī.
- Mujhe suljhe vichāron ne bār-bār mārā hai.
- Gharib ādmī ke ghar ke kalā aur sanskṛti kī bātē nahī hotī. Bhūkhe kī kalā sanskṛti aur darśan peṭ ke bāhar kahīn nahī hotē.
- Paisa khānē wālā sabse ḍartā hai. Jo sarkārī karmchārī jitnā namr hotā hai, wah utne hī paise khātā hai.
- Sir nīchā karke chor kī nazar ḍālnē kī apeksā, māṭhā, ūnchā karke, īmāndārī kī drishti ḍālnā, adhik acchā hai.
- Ghāv acchī jagah ho aur sajā huā, to baṛe lābh hote hain.
- Jo desh kā kām kartā hai, use thodī badtamīzī kā haq hai. Desh sevā thodī badtamīzī ke binā śobhā nahī detī.
- Sāhitye kā kām acchī dukān kā acchī naukrī lagne tak hī hotā hai.
- Har kutta janm se hī ātmgyānī hotā hai. Wah jān’tā hai ki main kutta hoon aur mera kām bhauk’nā hai. Kaī log apne kutte ko "Tiger" keh'te hain, par kutta apne ko kabhī sher nahī samajhtā, wah apne sacche svarūp ko pehchāntā hai.
- Anyāy ke viruddh jiskī āwāz buland nahī hotī, wah lekhak yā kalākār nahī ban sak'tā.
- Phool kī mār burī hotī hai. Sher ko agar kisī tarah ek phoolmālā pehnā do to goli chalāne kī zarūrāt nahī hai. Wah foran hāth jodkar kahēgā—mere yogya koī aur sevā.
- Jis ādmī ko khush rakhna hai, uski bīmārī mein roz usse milne jānā chāhiye.
- Railway mein ghoos lenā is qadam kānūnī ho gayā hai ki agar koī ghoos na de to us par rail bābū dīwānī kā mukad'mā dāyar karne kī bhī ek bār soch'tā hai.
- Ham sab ghalat kitābon kī paidāvār hai.
- Janatā un manushyon ko keh'tī hai jo voter hain aur jinke vote se vidhāyak, mantrī bante hain. Is pṛthvī par janatā kī upyogitā kul itnī hai ki uske vote se mantrī maṇḍal bante hain. Agar janatā ke binā sarkār ban sak'tī hai, to janatā kī koī zarūrāt nahī hai.
- Ādmī kī shakl mein kutte se nahī ḍartā. Unse nipat le'tā hoon. Par sacche kutte se bahut ḍartā hoon.
- Kirāye par dene ke liye jab makān banwāyā jātā hai to khās khyāl rakhā jātā hai ki kirāyedār ko bhool se bhī kahī koī suvidhā na mil jaye. Radio nāṭak kī tarah.
- Jiski bāt ke ek se adhik arth nikle, wah sant nahī hotā, luchchā ādmī hotā hai. Sant kī bāt sīdhī aur spaṣṭ hotī hai aur uska ek hī arth nikal'tā hai.
- Koī bhī bhāṣā anpaṛhō ke hāthō mein surakṣit rahtī hai.
- Lekhakō ko merī salah hai ki aisā sochkar kabhī mat likhō ki main śāśvat likh rahā hoon. Śāśvat likhne wāle turant mṛtyu ko prāpt hote hain. Apnā likhā jo roz martā dekhte hain, wahi amar hote hain.
- Abhinandan mein aur rachnāvalī prakāśit karne mein kabhī isliye bhī jaldī kī jātī hai ki lekhak bīmār rahne lagā hai—na jāne kab "ṭen bol jāe". Isliye samay rakhte, is kā kuch kar ḍālo.
- Saty shubh ho, kālā ho, safed ho—sāhitye usī se banta hai.
- Wah kitne sukhī hain, jinhe sapne nahī aate. Mujhe lagne lagā hai. Wahī gehri sukh kī nīnd soti hai, jise sapne nahī aate.
- Vote dene wāle se lekar sāhitye-marmagnya tā jātī kā patā pehle lagāte hain.
- 1 baje se 3 baje tak to sāra rāṣṭr ūnghtā hai.
- Is desh ke ādmī kī mānaskitā aisī kar dī gayī hai ki agar uska bhālā bhī karo, to use shak hotā hai ki kisī aur kā bhālā kiyā gayā hai.
- Is desh kā ādmī mūrkh hai. Ann khānā chāhtā hai. Bhūkhamarī ke samācār nahī khānā chāhtā hai.
- Jab yah kahā jāe ki strī bāhir nikle, tab yah arth hotā hai ki doosrō kī strīyan nikle, apnī nahī.
- Jin sawālō ke javāb taklīf den, unhe ṭālnē se ādmī sukhī rahtā hai.
- Janatā kacchā māl hai. Isse pakkā māl vidhāyak, mantrī ādi bante hain. Pakkā māl banne ke liye kacche māl ko miṭnā hī pad'tā hai.
- Mūrkh se-mūrkh ādmī tab buddhimān ho jātā hai jab uski shaadī pakkī ho jātī hai.
- Mujhe jñānīyō ne lagātār salah dī ki kuch śāśvat likho. Aisā likho, jo amar rahe. Aisi salah dene wāle kabhī ke mar ga'e. Main zindā hoon, kyonki jo main āj likhtā hoon, kal martā hai.
- Sacet ādmī seekhnā marte dam tak nahī chhodtā. Jo seekhne kī umra mein hī seekhnā chhod dete hain, wah mūrkhtā aur ahankār ke dayānīy janwar ho jātē hain.
Comments
Post a Comment