हुस्न से आँख लड़ी हो जैसे / 'उनवान' चिश्ती

हुस्न से आँख लड़ी हो जैसे
जिंदगी चौंक पड़ी हो जैसे

हाए ये लम्हा तेरी याद के साथ
कोई रहमत की घड़ी हो जैसे

राह रोके हुए इक मुद्दत से
कोई दोशीज़ा खड़ी हो जैसे

उफ़ ये ताबानी-ए-माह-ओ-अंजुम
रात सेहरे की लड़ी हो जैसे

उन को देखा तो हुआ ये महसूस
जान में जान पड़ी हो जैसे

मुझ से खुलते हुए शर्माते हैं
इक गिरह दिल में पड़ी हो जैसे

उफ़ ये अंदाज़-ए-शिकस्त-ए-अरमाँ
शाख़-ए-गुल टूट पड़ी हो जैसे

उफ़ ये अश्‍कों का तसलसुल ‘उनवाँ’
कोई सावन की झड़ी हो जैसे

श्रेणी: ग़ज़ल

Comments

Popular posts from this blog

Ye Naina Ye Kajal / ये नैना, ये काजल, ये ज़ुल्फ़ें, ये आँचल

Mira Bai Ke Pad Arth Vyakhya मीराबाई के पद अर्थ सहित

अल्लामा इक़बाल ग़ज़ल /Allama Iqbal Ghazal