दुखी दिलों की लिए ताज़याना रखता है / अंजुम रूमानी

दुखी दिलों की लिए ताज़याना रखता है
हर एक शख़्स यहाँ इक फ़साना रखता है

किसी भी हाल में राज़ी नहीं है दिल हम से
हर इक तरह का ये काफ़िर बहाना रखता है

अज़ल से ढंग हैं दिल के अजीब से शायद
किसी से रस्म-ओ-रह-ए-ग़ाएबाना रखता है

कोई तो फ़ैज़ है कोई तो बात है इस में
किसी को दोस्त यूँही कब ज़माना रखता है

फ़कीह-ए-शहर की बातों से दर-गुज़र बेहतर
बशर है और ग़म-ए-आब-ओ-दाना रखता है

मुआमलात-ए-जहाँ की ख़बर ही क्या उस को
मुआमला ही किसी से रखा न रखता है

हमीं ने आज तक अपनी तरह नहीं देखा
तवक़्क़ुआत बहुत कुछ ज़माना रखता है

क़लंदरी है की रखता है दिल ग़नी ‘अंजुम’
कोई दुकाँ न कोई कार-ख़ाना रखता है

श्रेणी: ग़ज़ल

Comments

Popular posts from this blog

मंगलेश डबराल की लोकप्रिय कविताएं Popular Poems of Manglesh Dabral

Ye Naina Ye Kajal / ये नैना, ये काजल, ये ज़ुल्फ़ें, ये आँचल

Mira Bai Ke Pad Arth Vyakhya मीराबाई के पद अर्थ सहित