नज़्ज़ारा जो होता है लब-ए-बाम तुम्हारा / 'अहसन' मारहरवी
नज़्ज़ारा जो होता है लब-ए-बाम तुम्हारा
दुनिया में उछलता है बहुत नाम तुम्हारा
दरबाँ है न है ग़ैर बाद-अंजाम तुम्हारा
काम आएगा आख़िर यही ना-काम तुम्हारा
दुश्नाम सुनो दे के दिल ऐ हुस्न-परस्तों
ये काम तुम्हारा है वो इनाम तुम्हारा
आग़ाज़-ए-मुहब्बत है हो ख़ुश हज़रत-ए-दिल क्या
अच्छा नज़र आता नहीं अंजाम तुम्हारा
‘अहसन’ की तबीअत से अभी तुम नहीं वाक़िफ़
है दिल से दुआ-गो सहर ओ शाम तुम्हारा
श्रेणी: ग़ज़ल
दुनिया में उछलता है बहुत नाम तुम्हारा
दरबाँ है न है ग़ैर बाद-अंजाम तुम्हारा
काम आएगा आख़िर यही ना-काम तुम्हारा
दुश्नाम सुनो दे के दिल ऐ हुस्न-परस्तों
ये काम तुम्हारा है वो इनाम तुम्हारा
आग़ाज़-ए-मुहब्बत है हो ख़ुश हज़रत-ए-दिल क्या
अच्छा नज़र आता नहीं अंजाम तुम्हारा
‘अहसन’ की तबीअत से अभी तुम नहीं वाक़िफ़
है दिल से दुआ-गो सहर ओ शाम तुम्हारा
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