चक्की के गीत : हरियाणवी लोकगीत Chakki Ke Geet : Haryanvi Lok Geet

  ऊठ बहू मेरी पीस ले

ऊठ बहू मेरी पीस ले यो दिन धोला लिकड़ आया हे।

तन्नै कै सासू पीसणा मैं काच्ची नींद जगाई हे।

सेजां पै तै बालम बोल्या सुण ले अम्मां मेरी हे।

भले घरां की ब्याह के ल्याणा इब नां चालै थारी हे।

भरी सी मैं झोट्टी ल्यूंगा छोटा बीरा ल्यूंगा पाली हे।

बलध्यां की मैं जोड़ी ल्यूंगा बाबल ल्यूंगा हाली हे।

भारी सी मैं चाक्की ल्यूंगा थम ने ल्यूं पिनहारी हे।

गोबर कूड़ा थमै करोगी गरज पड़ै रह जाइयो हे।


 गीले गीले जौ का पीसना री

गीले गीले जौ का पीसना री

नीका पीसूं उड़ उड़ जाय, मोटा पीसूं कोई न खाय

चौमासा सावन आ गया री, अरी मोरी मां री

इतना आटा मैं पीसा री जितना नदियां रेत

चौमासा सावन आ गया री, अरी मोरी मां री

इतनी रोटी मैं पोयी री जितने पीपल पात री

चौमासा सावन आ गया री, अरी मोरी मां री

इतने चावल मैं कुट्टे री जितने समंदर मोतियां

चौमासा सावन आ गया री, अरी मोरी मां री

रोटी रोटी बाट ली री रह गई रोटी एक री

छोटा देवर लाडला री वह भी ले गया खोस री

चौमासा सावन आ गया री, अरी मोरी मां री

कड़छी कड़छी चावल बटा लिये री रह गई कड़छी एक री

छोटी नणदल लाडलो री वह भी ले गई खोस री

चौमासा सावन आ गया री, अरी मोरी मां री


 चाकी पै धर्या पीसणा चाकी का भार्या पाट

चाकी पै धर्या पीसणा चाकी का भार्या पाट

मेरे घर में जुलमी सास जगावै आधी रात

पीसण आई चाकी पै बेरी सांप फिरै

तैं मन्ने खा ले घर की राड़ मिटै

चाकी पै धर्या पीसणा चाकी का भार्या पाट

मेरे घर में जुलमी जिठाणी जगावै आधी रात

पीसण आई चाकी पै बैरी सांप फिरै

तैं मन्ने खा ले घर की राड़ मिटै

चाकी पै धर्या पीसणा चाकी का भार्या पाट

मेरे घर में जुलमी नणद जगावै आधी रात

पीसण आई चाकी पै बैरी सांप फिरै

तैं मन्ने खा ले घर की राड़ मिटै


 चाकी बड़ी दुखदाई बलम मेरे झो के तवाई

चाकी बड़ी दुखदाई बलम मेरे झो के तवाई

निंदरिया की आमें जम्हाई मोहे बरो अलकस आवे

सासू मेरी किल्ल मचावे आधी रात ते मोहे जगावे

सगरी रात जगाई बलम मेरे झो के तवाई

पिया मेरे अंजन मंगवा दे जल्दी तूं चाकी लगवा दे

आजारोज पिसाई बलम मेरे झो के तवाई

चाकी में काम होय बन्दवा को के या काम होवे रंडवा को

मैं या ते बहुत दुख पाई बलम मेरे झो के तवाई


 ठंडे से केले के नीचे नींद बड़ी आवे री

ठंडे से केले के नीचे नींद बड़ी आवे री

जब री सासू मेरी पीसन ने खन्दावे

बाबुल की पनचक्की मोहे याद बड़ी आवे री

जब री जेठाणी मोहे रोटी ने खन्दावे

बाबुल की बाह्मनिया मोहे याद बड़ी आवे री

जब री ननद मोहे पाणी ने खन्दावे

बाबुल की झीमरिया मोहे याद बड़ी आवे री

ठंडे से केले के नीचे नींद बड़ी आवे री


 तमतै चाले नौकरी म्हारा कौन हवाल

तमतै चाले नौकरी म्हारा कौन हवाल

यो बिडला मेरे मन बसिया

बिडला बिडला के करै री गोरी बिडले ल्यावां दो चार

यो बिडला मेरे मन बसिया

कोठी चावल रै गोरी घी घणा गोरी म्हारी बैठी मौज उडाय

यो बिडला मेरे मन बसिया

चरखा ल्यांदा रै गोरी रांगला पीड़ा लाल गुलाल

यो बिडला मेरे मन बसिया

तकवा ल्यांदा रै गोरी म्हारी सार का कातनी झरोखे दार


 पाणी पिला दे भरतार

पाणी पिला दे भरतार

तिसाई मर गी खेत मैं

कोड्डी तो हो के पी ले नार

पाणी तो भर रह्या लेट मैं

क्यूं कर पिऊं भरतार

छोरट ते मेरे पेट में

न्यूं तो बता दे मेरी नार

किस ने तौं घाली खेत मैं

बड़िये जिठाणी चकचाल

जेठै ने घाली खेत मैं


 मैं तो माड़ी हो गई राम

मैं तो माड़ी हो गई राम

धंधा कर के इस घर का

बखते उठ कै पीसणा पीसूं

सदा पहर का तड़का

चूल्हे मैं आग बालगी

छोरे ने दिया धक्का

बासी कूसी टुकड़े खागी

घी कोन्या घर का

सास ननद निगोड़ी न्यूं कहे

तने फेरा क्यूं ना चरखा

मार कूट कै नै पापण मेरी

देवर कर लिया घर का

बड़े जेठ की मूंछ उखाड़ी

सुसरे का कालजा धड़का

मैं हठीली हट की पूरी

कहा न मानूं किसे का


 सासरे के चा में छोरी बालदी बी कोन्या ए

सासरे के चा में छोरी बालदी बी कोन्या ए

चाची ताई घालण आई छोरी रोंवदी बी कोन्या ए

बड़ी जिठाणी सोवण खदां दी चढ़ चौबारे सोई ए

नीचे से मेरी सासड़ बोली सुण ले बहुअड़ मेरी ए

मेरा बेटा राज कंवर सै घौरी मत ना सोइए ए

ऊपर से मैं तले उतर ली आके चाक्की झो दई ए

भारी से मन्नै हलकी करली चून कुछ मोटा आया ए

भीतर से मेरी सासड़ बोली सुण ले बहुअड़ मेरी ए

मेरा बेटा राज कंवर सै मोटा मत ना पीसै ए

चाकी छोड़ रसोइयां आई आ के चूल्हा बाल्या ए

आलू का मन्नै साग बणाया मोटी रोटी पोई ए

भीतर से मेरी सासड़ बोली सुण ले बहुअड़ मेरी ए

मेरा बेटा राज कंवर सै मोटी मत ना पोइयो ए

सासरे के चा में छोरी बोलदी बी कोन्या ए


 हो रबझब की गैल डिगर गया

हो रबझब की गैल डिगर गया मनैं कोन्या पाटा तोल।

हो पिया एक कसर कर गया बोग्या डूंगा क्यार।

मेरा जेठा बोली मारता तेरा बिना नलाया खेत।

हे मैं ठाके कसोला चाली मनैं जाये नलाया ईख।

रास्ते में डाकिया मिल गया बालम का ले रहा तार।

डाकिया बांच सुणावण लाग्या थारे गुजर गये भरतार।

हे मैं उलटी घर ने बाव्हड़ी कुरसी पे जेठा बैठा मूढ़े पर लम्बरदार।

हे मैं भीतर बड़ के रोई म्हारे गुजर गये भरतार

मेरी सासड़ धीर बन्धावे मत रोवे लाल की नार।

म्हारी छाती भी देखो हे बोझ भरी दस मास।

मेरी नणदल धीर बंधावै मत रोवे बीर की नार।

मेरा जेठा राजी हो रहा भाई के थ्यागे क्यार।

मेरा देवर राजी हो रहा भाई की थ्यागी नार।

पिनसिन ज्यादा बंध गई महीने के एक हजार।

मैं खेत बुवालूं हाली राखलूं हे दो चार।

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