प्रबल प्रेम के पाले पड़ कर / भजन Prabal Prem Ke Paale Pad Kar lyrics in Hindi
प्रबल प्रेम के पाले पड़ कर / भजन
Prabal Prem Ke Paale Pad Kar lyrics in Hindi
अपना मान भले टल जाये भक्त मान नहीं टलते देखा ..
जिसकी केवल कृपा दृष्टि से सकल विश्व को पलते देखा .
उसको गोकुल में माखन पर सौ सौ बार मचलते देखा ..
जिस्के चरण कमल कमला के करतल से न निकलते देखा .
उसको ब्रज की कुंज गलिन में कंटक पथ पर चलते देखा ..
जिसका ध्यान विरंचि शंभु सनकादिक से न सम्भलते देखा .
उसको ग्वाल सखा मंडल में लेकर गेंद उछलते देखा ..
जिसकी वक्र भृकुटि के डर से सागर सप्त उछलते देखा .
उसको माँ यशोदा के भय से अश्रु बिंदु दृग ढ़लते देखा ..
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