बरूआ गीत बघेली लोकगीत Barua Geet Lokgeet Bagheli Lyrics

 हरे-हरे पर्वत सुअना नेउत / बघेली बरूआ गीत

हरे हरे पर्वत सुअना नेउत दइ आवउ हो
गाँव का नाव न जान्यौं ठकुर नहि चीन्ह्योउ हो
गाँव का नाव अजुध्या ठकुर राजा दशरथ हो
हरे हरे सुअना नेउत दइ आवउ हो
पहिला नेउत राजा दशरथ दुसर कौशिला रानी
तिसरा नेउत रामचन्द्र तौ तीनौ दल आवइं हो।


मोतिया का बिरझै दुलेरूआ / बघेली बरूआ गीत

मोतिया का बिरझै दुलेरूआ आजी हीरा मोती लेबइ हो
आजा उनके धई झिकझोरइ आजी हृरदइ लगाबई हो
आवा ललन मोरी कनिया मैं हीरा मोती देइहौं हो
मोतिया का बिरझे दुलेरूआ माया हीरा मोती लेबइ हो
बाबू उनके धई झिकझोरइ माया हृरदइ लगावई हो
आवा ललन मोरी कनिया तौ हीरा मोती देबई हो
मोतिया का बिरझे दुलेरूआ आजी हीरा मोती लेबई हो
काका उनके धई झिकझोरइ माया हृरदइ लगावई हो
आवा ललन मोरी कनिया तो हीरा मोती देबइ हो।


ऊंच ओसरवा नवा घर / बघेली बरूआ गीत

ऊंच ओसरवा नवा घर जहां खम्भा कुंदेर के भाये हैं हो
ओही ओढ़कैली उनकी माया सुना पिया साहेब हो
पांच बरिस केर दुलेरूआ बरूआ कै डारित हो
लागीतौ घिउ गुर गोहुआं लख बम्हना केर भोजन
बरूआ मा कुछू लागी हो
मैरे मा गोहुंवा बोवउबे कछरवा मा रहिला हो
पांच बरिस के दुलेरूआ बरूआ कै डारिया हो
काशी का पंडित बोलवउबै सुदिन बनवउबै हो
काशी का मलिया बोलवउबै पंचरतनी बनवउबैइ हो
काशी का मलिया बोलवउबै तौ भउरी बनवउबइ हो
काशी का दरजी बोलवउबै तौ जामा सियबइ हो
काशी का चमरा बोलवउबै तौ जूता बनवउबइ हो
काशी का लोहरा बोलवउबइ तौ कंगन बनवउबइ हो
पांच बरिस के दुलेरूआ बरूआ कै लेबइ हो।


का देखि मछरी लोरिया करत है / बघेली बरूआ गीत

का देखि मछरी लोरिया करत है
का देखि भंवरा लोभाय
का देखि दुलहे गये ससुररिया
का देखि रहे हैं लोभाय
जल देखे मछरी लोरिया करत है
फूल देखि भंवरा लोभाय
सारी देखि दुलहे गये है ससुररिया
सरहज देखे लोभाय
का मांगे सारी रे का मांगे सरहज
का मांगे धनिया तोहार
सारी जो मांगै अनधन सोनवा
सरहज लहरपटोर
धनिया जो मांगै कंचन चुरिया
सगली अजुध्या के राज
कहां पइहा मोरे पूत अनधन सोनवा कहां पइहा लहर पटोर
कहां पइहा लहर पटोर
कहां पाइहा मोरे पूत कंचन चुरिया
सगली अजुध्या कै राज
सोनरा घर पउबै अनधन सोनवा
लखेरे घर लहर पटोर
पटवा के घरे पउबै कंचन चुरिया
अपनी अजुध्या के राज

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