नंददास जी की रचनाएं Nanddas Ji ki Rachnayein
छोटो सो कन्हैया एक मुरली मधुर छोटी नंददास पद Nanddas ji ka Pad छोटो सो कन्हैया एक मुरली मधुर छोटी, छोटे-छोटे सखा संग छोटी पाग सिर की। छोटी सी लकुटि हाथ छोटे वत्स लिए साथ, छोटी कोटि छोटी पट छोटे पीताम्बर की॥ छोटे से कुण्डल कान, मुनिमन छुटे ध्यान, छोटी-छोटी गोपी सब आई घर-घर की। नंददास प्रभु छोटे, वेद भाव मोटे-मोटे, खायो है माखन सोभा देखहुँ बदन की॥ फूलन की माला हाथ, फूली सब सखी साथ, झाँकत झरोखा ठाडी नंदिनी जनक की। देखत पिय की शोभा, सिय के लोचन लोभा, एक टक ठाडी मानौ पूतरी कनक की॥ पिता सों कहत बात, कोमल कमल गात, राखिहौ प्रतिज्ञा कैसे शिव के धनक की। नंददास' हरि जान्यो, तृन करि तोरयो ताहि, बाँस की धनैया जैसे बालक के कर की॥ आज वृंदाविपिन कुंज अद्भुत नई नंददास पद Nanddas ji ka Pad (राग सारंग) आज वृंदाविपिन कुंज अद्भुत नई । परम सीतल सुखद स्याम सोभित तहाँ, माधुरी मधुर और पीत फूलन छई ॥ विविध कदली खंभ, झूमका झुक रहे, मधुप गुंजार, सुर कोकिला धुनि ठई । तहाँ राजत श्री वृषभान की लाड़िली, मनों हो घनस्याम ढिंग उलही सोभा नई ॥ तरनि-तनया-तीर धीर समीर जहाँ, सुनत ब्रजबधू अति होय हरषित मई । ’नंददास’ निनाथ ...