दर्द पी लेते हैं और दाग़ पचा जाते हैं / 'क़ाएम' चाँदपुरी

दर्द पी लेते हैं और दाग़ पचा जाते हैं
याँ बला-नोश हैं जो आए चढ़ा जाते हैं

देख कर तुम को कहीं दूर गए हम लेकिन
टुक ठहर जाओ तो फिर आप में आ जाते हैं

जब तलक पाँव में चलने की है ताकत बाकी
हाल-ए-दिल आ के कभू तुझ को दिखा जाते हैं

कौन हो गुँचा-सिफत अपने सबा को मरहून
जैसे तंग आए थे वैसे ही खफा जाते हैं

रहियो हुश्यार तू लप-झप से बुताँ की ‘काएम’
बात की बात में वाँ दिल को उड़ा जाते है

श्रेणी: ग़ज़ल

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