फ़रेबों से न बहलेगा दिल-ए-आशुफ़्ता-काम अपना / 'महशर' इनायती

फ़रेबों से न बहलेगा दिल-ए-आशुफ़्ता-काम अपना
ब-ज़ाहिर मुस्कुरा कर देखने वाले सलाम अपना

किसी की बज़्म के हालात ने समझा दिया मुझ को
के जब साक़ी नहीं अपना तो मय अपनी न जाम अपना

अगर अपने दिल-ए-बे-ताब को समझा लिया मैं ने
तो ये काफ़िर निगाहें कर सकेंगी इंतिज़ाम अपना

मुकम्मल कर गया जल कर हयात-ए-ग़म को परवाना
और इक हम थे हिरास अफ़साना भी छोड़ा ना-तमाम अपना

जहान-ए-इश्‍क़ में ऐसे मक़ामों से भी गुज़रा हूँ
हिरास बाज़-औक़ात ख़ुद करना पड़ा है एहतराम अपना

मैं दीवाना सही लेकिन वो ख़ुश-क़िस्मत हूँ ऐ ‘महशर’
हिरास दुनिया की ज़बाँ पर आ गया है आज नाम अपना

श्रेणी: ग़ज़ल

Comments

Popular Posts

क्या भला मुझ को परखने का नतीजा निकला / 'मुज़फ्फ़र' वारसी

ब-रंग-ए-ख़्वाब मैं बिखरा रहूँगा / अकरम नक़्क़ाश

बुन्देली गारी गीत लोकगीत लिरिक्स Bundeli Gali Geet Lokgeet Lyrics

Ye Naina Ye Kajal / ये नैना, ये काजल, ये ज़ुल्फ़ें, ये आँचल

संत श्री सूरदास जी के भजन लिरिक्स Sant Surdas ji Bhajan lyrics

Rajasthani Lokgeet Lyrics in Hindi राजस्थानी लोकगीत लिरिक्स

Ghazals of Jaun Eliya Ghazal जौन एलिया की ग़ज़लें ग़ज़ल

हिंडौले के गीत बघेली लोकगीत Hindole ke Geet Lokgeet Bagheli Lyrics

Ekadashi Vrat Katha (Ekadasi Katha) कथा 5 - Katha 5

अल्लामा इक़बाल ग़ज़ल /Allama Iqbal Ghazal