कुछ भी हो वो अब दिल से जुदा हो नहीं सकते / 'असअद' भोपाली

कुछ भी हो वो अब दिल से जुदा हो नहीं सकते
हम मुजरिम-ए-तौहीन-ए-वफ़ा हो नहीं सकते

ऐ मौज-ए-हवादिस तुझे मालूम नहीं क्या
हम अहल-ए-मोहब्बत हैं फ़ना हो नहीं सकते

इतना तो बता जाओ ख़फ़ा होने से पहले
वो क्या करें जो तुम से ख़फ़ा हो नहीं सकते

इक आप का दर है मेरी दुनिया-ए-अक़ीदत
ये सजदे कहीं और अदा हो नहीं सकते

अहबाब पे दीवाने 'असद' कैसा भरोसा
ये ज़हर भरे घूँट रवा हो नहीं सकते

श्रेणी: ग़ज़ल

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