तुम दूर हो तो प्यार का मौसम न आएगा / 'असअद' भोपाली

तुम दूर हो तो प्यार का मौसम न आएगा
अब के बरस बहार का मौसम न आएगा

चूमूँगा किस की ज़ुल्फ़ घटाओं को देख कर
इक जुर्म-ए-ख़ुश-गवार का मौसम न आएगा

छलके शराब बर्क़ गिरे या जलें चराग़
ज़िक्र-ए-निगाह-ए-यार का मौसम न आएगा

वादा-ख़िलाफ़ियों को तरस जाएगा यक़ीं
रातों को इंतिज़ार का मौसम न आएगा

तुझ से बिछड़ के ज़िंदगी हो जाएगी तवील
एहसास के निखार का मौसम न आएगा

श्रेणी: ग़ज़ल

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