हर बिन हारो जगत लराई संत जूड़ीराम भजन / Har Bin Haro Jagat Larai Sant Joodiram Bhajan

 

हर बिन हारो जगत लराई।
मान गुमान जान मत सानो ऐसेई डंभ चलाई।
हेरत हाल जाल अपनो की चित संतोष न पाई।
करत विचार हार नाहिं मानत कोट जतन समझाई।
अपनी समझ आप में भूलो बहुविधि भार लदाई।
जूड़ीराम नाम बिन चीन्हें फिर-फिर गोटा खाई।

Laal Kavi ki Rachnaen pad

हर बिन हारो जगत लराई संत जूड़ीराम भजन / पद/ मिश्रित रचना आपको कैसी लगी ?

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