कातक न्हाण के गीत : हरियाणवी लोकगीत Kaatak Nhan Ke Geet : Haryanvi Lok Geet

  आओ राधा नहाण चलां मेरे राम

आओ राधा नहाण चलां मेरे राम।

म्हारा तो नहीं ए चलान

दूधां मैं रम रही मेरे राम।

दूधां का कैसा हे गमान,

आवै बिलाई पी जावै हरे राम।


 उठती सी बरिआं मनै आलकस आवै

उठती सी बरिआं मनै आलकस आवै

चालदी नै बाट सुहावै

री सो हर की प्यारी


नित उठ गंगा जी मैं न्हाणा

नित उठ धारा जी मैं न्हाणा

री सो हर की प्यारी


हाथ लोटा कांधे धोती

सखि जगावण जाणा

री सो हर की प्यारी


नित उठ गंगा जी मैं न्हाणा

हाथ बी धोए पैर बी धोए

अंग मल मल धोए

री सो हर की प्यारी


नित उठ गंगा जी मैं न्हाणा

नहाए धेए जद बाहर लीकड़ी

गंगा जी नै सीस नुआया

री सो हर की प्यारी


नित उठ गंगा जी मैं न्हाणा

चन्दर सखी भजो बाल किरसन

जब हर के चरण चित लाया

री सो हर की प्यारी


 गौतम नार सिला कर डारी

गौतम नार सिला कर डारी

मुर्गा बांग दगे की दे गया, बांग दगे की न्यारी

गौतम ऋषि जी के न्हाने की तैयारी।

गौतम ऋषि जी ने जब न्हान संयोया, बोली यमुना माई,

कौन रे पापी आन जगाई, मैं तो सोऊं थी नग्न उघारी,

क्या री माता भूल गई हो, भूलत बात बिसारी,

मैं गौतम ऋषि भगत तुम्हारा।

तूं तो रे भोले भूल गया है, भूलत बात बिसारी,

तेरे तो रे भोले घर हो रही है जारी

कुछ गौतम ऋषि न्हाये कुछ न्हान न पाये, कांधे धोती डारी,

जब गौतम ऋषि ड्योड़ी आये, ड्योढ़ी चन्दरमा पाये,

दे मिरगछाला जा उन मस्तक मारी,

गौतम नार सिला कर डारी।


 तुलसां माता तैं सुख दाता

तुलसां माता तैं सुख दाता

बिडला सीजूं तेरा

तैं कर निस्तारा मेरा

किरसन जी का कांधा दइओ

पीताम्बर की धोती दइओ

बैकुंठ का बासा दइओ

हो ज्या निस्तारा मेरा

बिडला सीजूं तेरा


 तैं चौड़ा तैं चीकणा

तैं चौड़ा तैं चीकणा

तैं बिरमा का पूत

तेरी डाली सींज कै

सदा पावै हम सुख

जोआं की क्यारी चणै भरी

उसने सींजे राधा प्यारी

पीपल सींजन मैं चाली

कुल अपणे की लाज

पीपल सींज्या हर मिले

एक पंथ को काज


 पथवरी ए तैं पथ की ए राणी

पथवरी ए तैं पथ की एक राणी

भूल्या नै राह तिसायां नै पाणी

बिछडूयां नै आण मिलाइओ हो राम

पथवारी ए तैं सींज कुआरी

नूं घर बर पाइओ हो राम

पथवारी ए तैं सींज सुहागण

पति की सेवा कराइओ हो राम

पथवारी ए तैं सींज सपूती

नूं पूत्तर घर पाइओ हो राम

पथवारी ए तैं सींज ए बूढ़ी

बैकुंठा मैं बासा पाइओ हो राम


 परस बठंता अपना बाबल बुज्झा

परस बठंता अपना बाबल बुज्झा कहो तो कात्तक न्हाल्यूं हो राम

कातक न्हणा बेटी बड़ाए दुहेल्ला लाइयो बाग बगीचे हो राम

दूध घमोड़ती अपनी मायड़ बुज्झी कहो तो कात्तक न्हाल्यूं हो राम

कात्तक न्हाणा बेटी बड़ाए दुहेल्ला सिंच्चो धरम की क्यारी हो राम

धार काढ़ता अपना बीरा बुज्झा कहो तो कात्तक न्हाल्यूं हो राम

कात्तक न्हाणा बेब्बे बड़ाए दुहेल्ला ले ले न गोद भतीजा हो राम

पीसणा पीसती अपनी भावज ओ बुज्झी कहो तो कात्तक न्हाल्यूं हो राम

कात्तक न्हाणा ननदल बड़ाए दुहेल्ला काढो ना कसीदा हो राम


 बड़ सीजूं बड़ाला सीजूं

बड़ सीजूं बड़ाला सीजूं

सींजूं बड़ की डाली

आप किरसन जी झरोखे बैठे

सींजै राधा प्यारी

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 राम और लिछमन दसरथ जी के बेटे

राम और लिछमन दसरथ जी के बेटे, दोनूं बन खण्ड मैं जां,

हेरी मन्नै राम मिले भगवान

एक बन चाले रामा दो बन चाले रामा, तीजै मैं लग आई प्यास,

हेरी मन्नै राम मिले भगवान

जोहड़ बी रीते रामा कुएं भी रीते, रीता सारा बनबास

हेरी मन्नै राम मिले भगवान

छोटा सा छोरा गऊए चरावै, एक घूंट पाणीड़ा पिला,

हेरी मन्नै राम मिले भगवान


 सत की साथण पाणी नै चाली

सत की साथण पाणी नै चाली, या तुलसां गैल होली हो राम

भरण गई जल जमना की झारी हो राम

सत की साथण न्यू उठ बोली या तुलसां ओड कुवारी हो राम

भरण गई जल जमना की झारी हो राम

लोटा भी पटक्या, झारी भी पट्की या रोंदड़ी घर आई हो राम

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