राम गीत : हरियाणवी लोकगीत Ram Geet : Haryanvi Lok Geet
राम-लिछमन दसरथ के बेटे
राम-लिछमन दसरथ के बेटे दोनूँ बण खंड जाएँ
री कोए राम मिलावैंगे ।
एक बण चाले दो बण चाले तीजे में लग आई प्यास
री कोए राम मिलावैंगे । ।
ना कोए कूआ नाँ कोए जोहड़ ना कोए समद तलाब
री कोए राम मिलावैंगे ।
सीया के घर तैं उठी बदलिया रिम झिम बरसै मींह
री कोए राम मिलावैंगे ।।
कूए भी भर गए जोहड़ भी भर गए भर गए समद तलाब
री कोए राम मिलावैंगे ।
छोटा सा लड़का गऊ चरावै, दोनूँ गए उस पास
री कोए राम मिलावैंगे ।।
किसका तै तूं लड़का कहिए कौण तुम्हारी माय
री कोए राम मिलावैंगे ।
पिता अपणे का नाम ना जायूँ सीता म्हारी माय
री कोए राम मिलावैंगे ।।
अरे लड़के हमें वहीं तू ले चल जहाँ तुम्हारी माय
री कोए राम मिलावैंगे ।
खड़ी जो सीता केस सुखावै खड़ी बिरख की ओट
री कोए राम मिलावैंगे ॥
अरी मात्ता अपणा पल्ला तै ढक ले भार खड़े सिरी राम,
री कोए राम मिलावैंगे ।
झूठे घरों के झूठे लड़के कित तैं आवैं भगवान
री कोए राम मिलायेंगे ||
इसे पुरुस का मुँह नाँ देखूँ जीवत दिया बनवास
री कोए राम मिलावैंगे ।
मुँह जो फेर कै देखण लागी साँच खड़े सिरी राम
री कोए राम मिलायेंगे ||
फट गई धरती समा गई सीता खड़े लखावैं सिरी राम
री कोए राम मिलावैंगे ।
समावतड़ी का चोटा पकड्या बणी केसाँ की हरी डाभ
री कोए राम मिलावैंगे ।।
इस धरती पै घास उगैगी चरै राम थारी गाय
री कोए राम मिलावैंगे ।
इस धरती पे नाज उगैगा खावै राम परिवार
री कोए राम मिलावैंगे ।।
राम लिछमन दसरथ के बेटे दोनूँ बण खंड जाँय
री कोए राम मिलावैंगे ।।
(पाठान्तर)
राम अर लछमण दशरथ के बेटे
दोनों बण-खंड जाएँ ... हे जी कोई राम मिले भगवान
एक बण चाल्ये, दो बण चाल्ये
तीजे में लग आई प्यास ... हे जी कोई राम मिले भगवान
ना अड़े कूआँ, ना अड़े जोहड़
ना अड़े सरवर ताल ... हे जी कोई राम मिले भगवान
हर के घर तै उठी बदलिया
बरस रही झड़ लाए ... हे जी कोई राम मिले भगवान
भर गए कूएँ, भर गए जोहड़
भर गए सरवर ताल ... हे जी कोई राम मिले भगवान
छोटा-सा छोरा गउएँ चरावै
पाणी तो प्याओ नंदलाल ... हे जी कोई राम मिले भगवान
भर के लोटा पाणी का ल्याया
पिओ तो श्री भगवान ... हे जी कोई राम मिले भगवान
तेरा पाणी हम जब पीवांगे
नाम बताओ माय अर बाप ... हे जी कोई राम मिले भगवान
पिता अपने का नाम ना जाणू
सीता सै म्हारी माँ ... हे जी कोई राम मिले भगवान
चाल भई लड़के उस नगरी में
जित थारी सीता माँ ... हे जी कोई राम मिले भगवान
खड़ी-खड़ी सीता केश सुखावै
हरे रूख की छायँ ... हे जी कोई राम मिले भगवान
ढक ले री माता इन केशां ने
बाहर खड़े श्रीराम ... हे जी कोई राम मिले भगवान
इस माणस का मुखड़ा ना देखूँ
जीव तने दिया बणवास ... हे जी कोई राम मिले भगवान
पाट गई धरती समा गई सीता
खड़े लखावें श्रीराम ... हे जी कोई राम मिले भगवान
भाज-लुज के चोटा पकड़्या
चोटे में हरी-हरी घाम ... हे जी कोई राम मिले भगवान
राम की माया राम ही जाणे
भज लो जय जय राम ... हे जी कोई राम मिले भगवान
राम आगमन का मंगलाचार-1
घर आए लिछमन राम पुरी मैं आनंद भये ।
हरियल गोबर अंगन लिपाया मोतियन चौक पुराय
पुरी में आनंद भये ।।
मात कौसलया बूझण लागी कहो ना लंका की बात
पुरी में आनंद भये ।।
कैसे ये गढ़ लंका जीती कैसे ल्याये सीता नार,
पुरी में आनंद भये ।
हाट घाट लिछमन नैं घेरे ओघट घेरे राम,
पुरी में आनंद भये ।।
आप राम दरवाजै ठाडे कूद पड़े हैं हनुमान,
पुरी में आनंद भये ।।
राम आगमन का मंगलाचार-2
आज आए सैं लिछमन राम जुध्या मैं आनंद भए ।
हरे हरे गोबर अंगन लिपाया मोतियन चौक पुराया ।
मात कुसल्या करै आरता सखी तैं गावैं मंगलाचार ।
जुध्या में आनंद भए ।
सोरण कलस धरो मंदरा मैं कर द्यो ना विपरों नैं दान ।
जुध्या में आनंद भए ।।
सीता को बनवास में राम की चिंता
ऊपर तैं बादल गरजें हो रहा रात अंधेरा
सिर पर गठरिया भारी कहाँ लगाऊँ डेरा
झगड़ा सै मेरा तेरा म्हारा कौण करै सुलझेड़ा ।।
पत्ते भी तोडूं रामजी, साग बणाऊँ रामजी,
तुम आओ रामजी, भोग लगाओ राम जी,
झगड़ा सै तेरा मेरा म्हारा कौण करै सुलझेड़ा ।।
सि पै गठरिया भारी मैं बण मैं फिरूँ रामा,
बिस्तर बिछाऊँ रामा, पिलंग बिछाऊँ रामा,
तुम आओ रामजी, लोट लगाओ रामजी ।
झगड़ा सै तेरा मेरा कौण करै सुलझेड़ा ।।
सिया खड़ी खड़ी पछताय लव कुस बण मैं हुए
सिया खड़ी खड़ी पछताय लव कुस बण मैं हुए ।
जै इत होती ललना की दाई ललना देती जणाय,
लव- कुस बण मैं हुए ।।
जैइत होती ललना की मिसराणी सूरज देती पुजवाय,
लव कुस बण मैं हुए ।।
जैइत होती ललना की नाइन मंगल देती गवाय,
लव कुस बण मैं हुए ।।
जै इत होती ललना की दादी चरुए देती धराए,
लव कुस बण मैं हुए ।।
जै इत होती ललना की चाची दीपक देती जलाए,
लव कुस बण में हुए ।।
जैइत होती ललना की ताई घूँटी देती पिलाए,
लव कुस बण में हुए ।।
जै इत होती ललना की बूआ ललना लेती खिलाय,
लव कुस बण में हुए ।।
जै इत होती ललना की बुआ सतिए देती धराए,
लव कुस बण मैं हुए ।।
जै इत होते ललना के दादा मोहरें देते लुटाए.
लव कुस बण में हुए ।।
*****
गर लाला अयुध्या में होता खंभ खंभ मैं बाजे बजते,
बाहर ब्राह्मण बाँचते पोथी सास कौसल्या कहती फिरती,
अपणी कहती मेरी सुणती ।
तात्ता सीला करकै देत्ती,
लव- कुस बण में हुए ।।
लव ले गोद मैं बैठी सीता नहीं सोवण नैं ठोड़
यो लड़का अजुध्या मैं होता,
दादा का यो पोता होता,
रंग महल के भीत्तर सोता,
पुण्य होते कई हजार,
लव कुस बण में हुए ।।
करम लिखा सो होय
सीता वनवास के गीत में ऋषि सीता को
समझा रहें हैं कि रोना व्यर्थ है भाग्य की रेखा
के अनुसार सभी कष्ट भोगने पड़ते हैं। यथा:
जिब रे रिसी ने पोथी बाँची सिया रही सै रोय
इब के क्यूँ रोई भूली तिरिया
करम लिखा सो होय
बूझो बूझो जानकी तैं बात
लक्ष्मण सीता को छोड़ने वन में तो आ गए
लेकिन वापस कैसे लौटें। उन्हें लौटते सीता
देखेगी तो क्या कहेगी लक्ष्मण को एक उपाय
सूझा। वे मोर बन कर उड़ गए :
बूझो बूझो जानकी तैं बात वा बण बण क्यूँ भटकी ।
किसियाँ की तुम लाडली कोण बीर भरतार,
कोण तुम्हारा गाम बण बण क्यूँ भटकी ।
लिछमन तै म्हारे सेत्ती आए,
बण में हो गए मोर ।
हे राम ने एक उपा उपाया
कुटिया बता गए ठोड़ । बण बण ... ।
जी राजा जनक की लाडली जी
सीया हमारा नाम
जी राम चन्दर भरतार हमारे
पुरी अजुध्या म्हारा गाम। बण बण... ।
तूं तै रिसी बाबा बाहर चला जा
सीता प्रसव पीड़ा के समय ऋषि को कुटी
से बाहर जाने को कहती है । प्रजनन के बाद
ऋषि सीता को घूँटी और बिछौने की व्यवस्था
का संकेत देते हैं।
तूं तै रिसी बाबा बाहर चला जा
पीड़ उठी बड़े जोर की हो राम ।
रिसी बाबा तै बाहर चला गया
भों पड्या नन्दलाल हो राम ।
चीते बघेरे बेटा सेर दहाड़ते
खा जाँघे माँस उधेड़ कै हो राम ।
क्यों हैं की हो बाबा घूँटी बनाऊँ ।
क्यों हैं का करूँ बिछावणा हो राम ।।
बणफल की बेटी घूँटी बणाओ ।
केले पात करो बिछावणा हो राम ।
अन्य हरियाणवी लोकगीत /देसी लिरिक्स/Other Haryanvi Folk Songs
- जन्म के समय गाए जाने वाले गीत : हरियाणवी लोकगीत Janm Geet : Haryanvi Lok Geet
- शादी-ब्याह के गीत : हरियाणवी लोकगीत Shadi-Byah Ke Geet : Haryanvi Lok Geet
- मृत्यु गीत : हरियाणवी लोकगीत Mrityu Geet : Haryanvi Lok Geet
- देवी माँ के गीत : हरियाणवी लोकगीत Devi Maan Ke Geet : Haryanvi Lok Geet
- भजन : हरियाणवी लोकगीत Bhajan : Haryanvi Lok Geet
- देवठणी के गीत : हरियाणवी लोकगीत Devthani Ke Geet: Haryanvi Lok Geet
- कातक न्हाण के गीत : हरियाणवी लोकगीत Kaatak Nhan Ke Geet : Haryanvi Lok Geet
- सांझी के गीत : हरियाणवी लोकगीत Sanjhi Ke Grrt : Haryanvi Lok Geet
- फागण के गीत : हरियाणवी लोकगीत Phaagan Ke Geet : Haryanvi Lok Geet
- सावन के गीत : हरियाणवी लोकगीत Sawan Ke Geet : Haryanvi Lok Geet
- प्रेमगीत : हरियाणवी लोकगीत Prem-Geet : Haryanvi Lok Geet
- खेती-बाड़ी के गीत : हरियाणवी लोकगीत Kheti-Bari Ke Geet : Haryanvi Lok Geet
- पनघट के गीत : हरियाणवी लोकगीत Panghat Ke Geet : Haryanvi Lok Geet
- चक्की के गीत : हरियाणवी लोकगीत Chakki Ke Geet : Haryanvi Lok Geet
- महात्मा गांधी के बारे में गीत : हरियाणवी लोकगीत Mahatma Gandhi Ke Baare Mein
Geet : Haryanvi Lok Geet - रहन-सहन के गीत : हरियाणवी लोकगीत Rahan-Sahan Ke Geet : Haryanvi Lok Geet
- सैनिक गीत : हरियाणवी लोकगीत Sainik Geet : Haryanvi Lok Geet
- विविध : हरियाणवी लोकगीत Vividh : Haryanvi Lok Geet
Comments
Post a Comment