Ghazal Collection ग़ज़लों का संग्रह
- Ghazal Collection ग़ज़लों का संग्रह
- नज़र-नवाज़ नज़ारों से बात करता हूँ / 'क़ैसर' निज़ामी ग़ज़ल/Ghazal
- मोहब्बत बाइस-ए-दीवानगी है और बस मैं हूँ / 'क़ैसर' निज़ामी ग़ज़ल/Ghazal
- मिटा न इन को सितम-केश तू ख़ुदा के लिए / 'क़ैसर' निज़ामी ग़ज़ल/Ghazal
- ख़ैर से उन का तसव्वुर हम-सफर होने तो दो / 'क़ैसर' निज़ामी ग़ज़ल/Ghazal
- कह रही है सारी दुनिया तेरा दीवाना मुझे / 'क़ैसर' निज़ामी ग़ज़ल/Ghazal
- जाम-ए-नज़रो से पिलाया है तुम्हें याद नहीं / 'क़ैसर' निज़ामी ग़ज़ल/Ghazal
- कोई नग़मा है न ख़ुश-बू है न रानाई है / 'उनवान' चिश्ती ग़ज़ल/Ghazal
- मिरे शानों पे उन की ज़ुल्फ़ लहराई तो क्या होगा / 'उनवान' चिश्ती
- नज़र की चोट अब दिल पर अयाँ मालूम होती है / 'उनवान' चिश्ती ग़ज़ल/Ghazal
- बनाई है तेरी तस्वीर मैं ने डरते हुए / 'आसिम' वास्ती ग़ज़ल/Ghazal
- अजब रंग आँखों में आने लगे / 'आशुफ़्ता' चंगेज़ी ग़ज़ल/Ghazal
- धूप के रथ पर हफ़्त अफ़लाक / 'आशुफ़्ता' चंगेज़ी ग़ज़ल/Ghazal
- घरोंदे ख़्वाबों के सूरज के साथ रख लेते / 'आशुफ़्ता' चंगेज़ी
- जिस्म पर बाक़ी ये सर है क्या करूँ / 'कैफ़' भोपाली ग़ज़ल/Ghazal
- ऐ मेहर-बाँ है गर यही सूरत निबाह की / 'ज़हीर' देहलवी ग़ज़ल/Ghazal
- बज़्म-ए-दुश्मन में जा के देख लिया / 'ज़हीर' देहलवी ग़ज़ल/Ghazal
- दिल गया दिल का निशाँ बाक़ी रहा / 'ज़हीर' देहलवी ग़ज़ल/Ghazal
- दिल को आज़ार लगा वो के छुपा भी न सकूँ / 'ज़हीर' देहलवी ग़ज़ल/Ghazal
- जहाँ में कौन कह सकता है तुम को बे-वफ़ा तुम हो / 'ज़हीर' देहलवी
- कुछ न कुछ रंज वो दे जाते हैं आते जाते / 'ज़हीर' देहलवी ग़ज़ल/Ghazal ग़ज़ल/Ghazal
- फटा पड़ता है जौबन और जोश-ए-नौ-जवानी है / 'ज़हीर' देहलवी ग़ज़ल/Ghazal
- रंग जमने न दिया बात को चलने न दिया / 'ज़हीर' देहलवी ग़ज़ल/Ghazal
- बढ़े कुछ और किसी इल्तिजा से कम न हुए / 'ज़फ़र' मुरादाबादी ग़ज़ल/Ghazal
- बे-क़नाअत काफ़िले हिर्स ओ हवा ओढ़े हुए / 'ज़फ़र' मुरादाबादी ग़ज़ल/Ghazal
- कभी दुआ तो कभी बद्-दुआ से लड़ते हुए / 'ज़फ़र' मुरादाबादी ग़ज़ल/Ghazal
- दिल सोज़-ए-आह-ए-गम से पिघलता चला गया / 'क़ैसर' निज़ामी ग़ज़ल/Ghazal
- आतिश-ए-सोज़-ए-मोहब्बत को बुझा सकता हूँ मैं / 'क़ैसर' निज़ामी ग़ज़ल/Ghazal
- तलब की आग किसी शोला-रू से रौशन है / 'क़ाबिल' अजमेरी ग़ज़ल/Ghazal
- सुराही का भरम खुलता न मेरी तिश्नगी होती / 'क़ाबिल' अजमेरी ग़ज़ल/Ghazal
- हैरतों के सिलसिले सोज़-ए-निहाँ तक आ गए / 'क़ाबिल' अजमेरी ग़ज़ल/Ghazal
- दिल-ए-दीवाना अर्ज़-ए-हाल पर माइल तो क्या होगा / 'क़ाबिल' अजमेरी ग़ज़ल/Ghazal
- होटों पे हँसी आँख में तारों की लड़ी है / 'क़ाबिल' अजमेरी ग़ज़ल/Ghazal
- दिल का हर ज़ख़्म मोहब्बत का निशाँ हो जैसे / 'उनवान' चिश्ती ग़ज़ल/Ghazal
- थोड़ा सा अक्स चाँद के पैकर में डाल दे / 'कैफ़' भोपाली ग़ज़ल/Ghazal
- तुम से न मिल के खुश हैं वो दावा किधर गया / 'कैफ़' भोपाली ग़ज़ल/Ghazal
- ये दाढ़ियाँ ये तिलक धारियाँ नहीं चलती / 'कैफ़' भोपाली ग़ज़ल/Ghazal
- क्यों फिर रहे हो कैफ़ ये ख़तरे का घर लिए / 'कैफ़' भोपाली ग़ज़ल/Ghazal
- जिस पे तेरी शमशीर नहीं है / 'कैफ़' भोपाली ग़ज़ल/Ghazal
- खुश-गमाँ हर आसरा बे-आसरा साबित हुआ / 'ज़फ़र' मुरादाबादी ग़ज़ल/Ghazal
- नक़ाब उस ने रूख़-ए-हुस्न-ए-ज़र पे डाल दिया / 'ज़फ़र' मुरादाबादी ग़ज़ल/Ghazal
- निगाह-ए-हुस्न-ए-मुजस्सम अदा हो छूते ही / 'ज़फ़र' मुरादाबादी ग़ज़ल/Ghazal
- रात भर सूरज के बन कर हम-सफ़र वापस हुए / 'ज़फ़र' मुरादाबादी ग़ज़ल/Ghazal
- तमाम रंग जहाँ इल्तिजा के रक्खे थे / 'ज़फ़र' मुरादाबादी ग़ज़ल/Ghazal
- अभी आखें खुली हैं और क्या क्या / 'ज़फ़र' इक़बाल ग़ज़ल/Ghazal
- मक़बूल-ए-अवाम हो गया मैं / 'ज़फ़र' इक़बाल ग़ज़ल/Ghazal
- आँख में अश्क लिए ख़ाक लिए दामन में / 'गुलनार' आफ़रीन ग़ज़ल/Ghazal
- आँसू भी वही कर्ब के साए भी वही हैं / 'गुलनार' आफ़रीन ग़ज़ल/Ghazal
- दिल ने इक आह भरी आँख में आँसू आए / 'गुलनार' आफ़रीन ग़ज़ल/Ghazal
- हमारा नाम पुकारे हमारे घर आए / 'गुलनार' आफ़रीन ग़ज़ल/Ghazal
- न पूछ ऐ मेरे ग़म-ख़्वार क्या तमन्ना थी / 'गुलनार' आफ़रीन ग़ज़ल/Ghazal
- दिल पा के उस की जुल्फ में आराम रह गया / 'क़ाएम' चाँदपुरी ग़ज़ल/Ghazal
- हुस्न से आँख लड़ी हो जैसे / 'उनवान' चिश्ती ग़ज़ल/Ghazal
- इश्क़ फिर इश्क़ है आशुफ़्ता-सरी माँगे हैं / 'उनवान' चिश्ती ग़ज़ल/Ghazal
- दिल मेरा देख देख जलता है / 'क़ाएम' चाँदपुरी ग़ज़ल/Ghazal
- देखा कभू न उस दिल-ए-नाशाद की तरफ / 'क़ाएम' चाँदपुरी ग़ज़ल/Ghazal
- दर्द-ए-दिल कुछ कहा नहीं जाता / 'क़ाएम' चाँदपुरी ग़ज़ल/Ghazal
- दर्द पी लेते हैं और दाग़ पचा जाते हैं / 'क़ाएम' चाँदपुरी ग़ज़ल/Ghazal
- नज़र है जलवा-ए-जानाँ है देखिए क्या हो / 'क़मर' मुरादाबादी ग़ज़ल/Ghazal
- मोहब्बत का जहाँ है और मैं हूँ / 'क़मर' मुरादाबादी ग़ज़ल/Ghazal
- मंज़िलों के निशाँ नहीं मिलते / 'क़मर' मुरादाबादी ग़ज़ल/Ghazal
- लज्ज़त-ए-दर्द-जिगर याद आई / 'क़मर' मुरादाबादी ग़ज़ल/Ghazal
- वो एक ख़ेमा-ए-शब जिस का नाम दुनिया था / 'क़ैसर'-उल जाफ़री
- दरवाज़ा तेरे शहर का वा चाहिए / 'अर्श' सिद्दीक़ी ग़ज़ल/Ghazal
- ग़म की गर्मी से दिल पिघलते रहे / 'अर्श' सिद्दीक़ी ग़ज़ल/Ghazal
- हम हद-ए-इंदिमाल से भी गए / 'अर्श' सिद्दीक़ी ग़ज़ल/Ghazal
- फिर हुनर-मंदों के घर से बे-बुनर / 'अर्श' सिद्दीक़ी ग़ज़ल/Ghazal
- संग-ए-दर उस का हर इक दर पे / 'अर्श' सिद्दीक़ी ग़ज़ल/Ghazal
- वक़्त का झोंका जो सब पत्ते उड़ा / 'अर्श' सिद्दीक़ी ग़ज़ल/Ghazal
- किस किस अदा से तूने जलवा दिखा के मारा / अकबर इलाहाबादी ग़ज़ल/Ghazal
- कट गई झगड़े में सारी रात वस्ल-ए-यार की / अकबर इलाहाबादी ग़ज़ल/Ghazal
- शक्ल जब बस गई आँखों में तो छुपना कैसा / अकबर इलाहाबादी ग़ज़ल/Ghazal
- दम लबों पर था दिलेज़ार के घबराने से / अकबर इलाहाबादी ग़ज़ल/Ghazal
- ज़ंजीर से उठती है सदा सहमी हुई सी / 'अर्श' सिद्दीक़ी ग़ज़ल/Ghazal
- रुकते हुए क़दमों का चलन मेरे लिए है / 'अरशद' अब्दुल हमीद ग़ज़ल/Ghazal
- आग़ोश में जो जलवा-गर इक / 'अमानत' लखनवी ग़ज़ल/Ghazal
- हैरत से देखता हुआ चेहरा किया मुझे / अकरम नक़्क़ाश ग़ज़ल/Ghazal
- ब-रंग-ए-ख़्वाब मैं बिखरा रहूँगा / अकरम नक़्क़ाश ग़ज़ल/Ghazal
- कोई हँस रहा है कोई रो रहा है / अकबर इलाहाबादी ग़ज़ल/Ghazal
- बहसें फ़ुजूल थीं यह खुला हाल देर से / अकबर इलाहाबादी ग़ज़ल/Ghazal
- दिल मेरा जिस से बहलता / अकबर इलाहाबादी ग़ज़ल/Ghazal
- समझे वही इसको जो हो दीवाना किसी का / अकबर इलाहाबादी ग़ज़ल/Ghazal
- आँखें मुझे तल्वों से वो मलने नहीं देते / अकबर इलाहाबादी ग़ज़ल/Ghazal
- पिंजरे में मुनिया / अकबर इलाहाबादी ग़ज़ल/Ghazal
- उन्हें शौक़-ए-इबादत भी है / अकबर इलाहाबादी ग़ज़ल/Ghazal
- जान ही लेने की हिकमत में तरक़्क़ी देखी / अकबर इलाहाबादी ग़ज़ल/Ghazal
- आपसे बेहद मुहब्बत है मुझे / अकबर इलाहाबादी ग़ज़ल/Ghazal
- हिन्द में तो मज़हबी हालत है अब नागुफ़्ता बेह / अकबर इलाहाबादी ग़ज़ल/Ghazal
- अच्छे मौसम में तग ओ ताज़ भी कर लेता हूँ / अंजुम सलीमी ग़ज़ल/Ghazal
- बुझने दे सब दिए मुझे तनहाई चाहिए / अंजुम सलीमी ग़ज़ल/Ghazal
- कभी याद आओ तो इस तरह / मोहसिन नक़वी ग़ज़ल/Ghazal
- कराची का क़ब्रिस्तान / दिलावर 'फ़िगार' ग़ज़ल/Ghazal
- अपना दीवाना बना कर ले जाए / 'आफ़ताब' हुसैन ग़ज़ल/Ghazal
- अस्ल हालत का बयान ज़ाहिर के साँचों में नहीं / 'आफ़ताब' हुसैन ग़ज़ल/Ghazal
- दो-जहाँ से मावरा हो जाएगा / 'असअद' भोपाली ग़ज़ल/Ghazal
- ग़म-ए-हयात से जब वास्ता पड़ा होगा / 'असअद' भोपाली ग़ज़ल/Ghazal
- गिराँ गुज़रने लगा दौर-ए-इंतिज़ार मुझे / 'असअद' भोपाली ग़ज़ल/Ghazal
- इश्क़ को जब हुस्न से नज़रें मिलाना आ गया / 'असअद' भोपाली ग़ज़ल/Ghazal
- जब अपने पैरहन से ख़ुशबू तुम्हारी आई / 'असअद' भोपाली ग़ज़ल/Ghazal
- जब ज़रा रात हुई और मह ओ अंजुम आए / 'असअद' भोपाली ग़ज़ल/Ghazal
- अरमान मेरे दिल का निकलने नहीं देते / अकबर इलाहाबादी ग़ज़ल/Ghazal
- चला हवस के जहानों की सैर करता हुआ / अंजुम सलीमी ग़ज़ल/Ghazal
- दर्द-ए-विरासत पा लेने से नाम नहीं चल सकता / अंजुम सलीमी ग़ज़ल/Ghazal
- दीवार पे रक्खा तो सितारे से उठाया / अंजुम सलीमी ग़ज़ल/Ghazal
- दिन ले के जाऊँ साथ उसे शाम कर के आऊँ / अंजुम सलीमी ग़ज़ल/Ghazal
- इन दिनों ख़ुद से फ़राग़त ही फ़राग़त है मुझे / अंजुम सलीमी ग़ज़ल/Ghazal
- इस से आगे तो बस ला-मकाँ रह गया / अंजुम सलीमी ग़ज़ल/Ghazal
- जस्त भरता हुआ दुनिया के दहाने की तरफ़ / अंजुम सलीमी ग़ज़ल/Ghazal
- कागज़ था मैं दिए पे मुझे रख दिया गया / अंजुम सलीमी ग़ज़ल/Ghazal
- कल तो तेरे ख़्वाबों ने मुझ पर यूँ अर्ज़ानी की / अंजुम सलीमी ग़ज़ल/Ghazal
- ख़ाक छानी न किसी दश्त में वहशत की है / अंजुम सलीमी ग़ज़ल/Ghazal
- Ye Naina Ye Kajal / ये नैना, ये काजल, ये ज़ुल्फ़ें, ये आँचल ग़ज़ल/Ghazal
- ख़बर तो दूर अमीन-ए-ख़बर नहीं आए / 'आशुफ़्ता' चंगेज़ी ग़ज़ल/Ghazal
- पता कहीं से तेरा अब के फिर लगा लाए / 'आशुफ़्ता' चंगेज़ी ग़ज़ल/Ghazal
- सभी को अपना समझता हूँ क्या हुआ है मुझे / 'आशुफ़्ता' चंगेज़ी ग़ज़ल/Ghazal
- आगाज़-ए-इश्क़ उम्र का अंजाम हो गया / 'इस्माइल' मेरठी ग़ज़ल/Ghazal
- आशिक़ों को ऐ फ़लक देवेगा तू / 'ऐश' देलहवी ग़ज़ल/Ghazal
- जब ज़िंदगी सुकून से महरूम हो गई / 'असअद' भोपाली ग़ज़ल/Ghazal
- कुछ भी हो वो अब दिल से जुदा हो नहीं सकते / 'असअद' भोपाली ग़ज़ल/Ghazal
- लब ओ रुख़्सार की क़िस्मत से दूरी / 'असअद' भोपाली ग़ज़ल/Ghazal
- जो यूं ही लहज़ा लहज़ा दाग़-ए-हसरत की तरक़्क़ी है / अकबर इलाहाबादी ग़ज़ल/Ghazal
- फिर गई आप की दो दिन में तबीयत कैसी / अकबर इलाहाबादी ग़ज़ल/Ghazal
- कहाँ ले जाऊँ दिल दोनों जहाँ में इसकी मुश्किल है / अकबर इलाहाबादी ग़ज़ल/Ghazal
- मुझे भी सहनी पड़ेगी मुख़ालिफ़त अपनी / अंजुम सलीमी ग़ज़ल/Ghazal
- ज़ुहूर-ए-कश्फ़-ओ-करामात में पड़ा हुआ हूँ / अंजुम सलीमी ग़ज़ल/Ghazal
- नहीं नाम ओ निशाँ साए का लेकिन यार बैठे हैं / अंजुम रूमानी ग़ज़ल/Ghazal
- जहाँ तक गया कारवान-ए-ख़याल / अंजुम रूमानी ग़ज़ल/Ghazal
- हर चंद उन्हें अहद फ़रामोश न होगा / अंजुम रूमानी ग़ज़ल/Ghazal
- हम से भी गाहे गाहे मुलाक़ात चाहिए / अंजुम रूमानी ग़ज़ल/Ghazal
- दुखी दिलों की लिए ताज़याना रखता है / अंजुम रूमानी ग़ज़ल/Ghazal
- हज़ार शम्अ फ़रोज़ाँ हो रौशनी के लिए नुशूर वाहिदी ग़ज़ल/Ghazal
- Sanam Tu Bewafa Ke Naam Se / सनम तू बेवफा के नाम से मशहूर हो जाए ग़ज़ल/Ghazal
- जुरअत ऐ दिल मय ओ मीना है / 'ऐश' देलहवी ग़ज़ल/Ghazal
- कुछ कम नहीं है शम्मा से दिल की / 'ऐश' देलहवी ग़ज़ल/Ghazal
- मैं बुरा ही सही भला न सही / 'ऐश' देलहवी ग़ज़ल/Ghazal
- क्या हुए आशिक़ उस शकर-लब के / 'ऐश' देलहवी ग़ज़ल/Ghazal
- ऐ दिल न सुन अफ़साना किसी शोख़ हसीं का / 'अहसन' मारहरवी ग़ज़ल/Ghazal
- जब तक अपने दिल में उन का ग़म रहा / 'अहसन' मारहरवी ग़ज़ल/Ghazal
- मुतमइन अपने यक़ीन पर अगर इंसाँ हो जाए / 'अहसन' मारहरवी ग़ज़ल/Ghazal
- ना-काम हैं असर से दुआएँ दुआ से हम / 'अहसन' मारहरवी ग़ज़ल/Ghazal
- नज़्ज़ारा जो होता है लब-ए-बाम तुम्हारा / 'अहसन' मारहरवी ग़ज़ल/Ghazal
- तुम्हारी लन-तरानी के करिश्मे देखे भाले हैं / 'अहसन' मारहरवी ग़ज़ल/Ghazal
- न साथी है न मंज़िल का पता है / 'असअद' भोपाली ग़ज़ल/Ghazal
- तुम दूर हो तो प्यार का मौसम न आएगा / 'असअद' भोपाली ग़ज़ल/Ghazal
- ज़िंदगी का हर नफ़स मम्नून है तदबीर का / 'असअद' भोपाली ग़ज़ल/Ghazal
- आँखें खुली हुई है तो मंज़र भी / 'अमीर' क़ज़लबाश ग़ज़ल/Ghazal
- मोहब्बत करने वालों के बहार-अफ़रोज़ सीनों में / अख़्तर अंसारी ग़ज़ल/Ghazal
- टूटी हुई शबीह की तस्ख़ीर क्या करें / अकरम नक़्क़ाश ग़ज़ल/Ghazal
- जगजीत: एक बौछार था वो... / गुलज़ार ग़ज़ल/Ghazal
- चल मेरे साथ ही चल / हसरत जयपुरी ग़ज़ल/Ghazal
- ख़ेमा-ए-याद / हसन 'नईम' ग़ज़ल/Ghazal
- ख़ामोशी / 'बाकर' मेंहदी ग़ज़ल/Ghazal
- आप हैं बे-गुनाह क्या कहना / 'बेख़ुद' देहलवी ग़ज़ल/Ghazal
- आशिक़ हैं मगर इश्क़ नुमायाँ नहीं रखते / 'बेख़ुद' देहलवी ग़ज़ल/Ghazal
- आशिक़ समझ रहे हैं मुझे दिल लगी से आप / 'बेख़ुद' देहलवी ग़ज़ल/Ghazal
- ऐसा बना दिया तुझे कुदरत ख़ुदा की है / 'बेख़ुद' देहलवी ग़ज़ल/Ghazal
- बज़्म-ए-दुश्मन में बुलाते हो ये क्या करते हो / 'बेख़ुद' देहलवी ग़ज़ल/Ghazal
- बे-ताब रहें हिज्र में कुछ दिल तो नहीं हम / 'बेख़ुद' देहलवी ग़ज़ल/Ghazal
- बे-वफ़ा कहने से क्या वो बे-वफ़ा हो जाएगा / 'बेख़ुद' देहलवी ग़ज़ल/Ghazal
- दे मोहब्बत तो मोहब्बत में असर पैदा कर / 'बेख़ुद' देहलवी ग़ज़ल/Ghazal
- मालूम है तारीकी-ए-शब कम नहीं होगी / 'महताब' हैदर नक़वी ग़ज़ल/Ghazal
- अपनी आँखों से तेरा चेहरा हमेशा देखूँ / 'महताब' हैदर नक़वी ग़ज़ल/Ghazal
- अपने हम-राह ख़ुद चला करना / 'अमीर' क़ज़लबाश ग़ज़ल/Ghazal
- बंद आँखों से वो मंज़र देखूँ / 'अमीर' क़ज़लबाश ग़ज़ल/Ghazal
- दामन पे लहू हाथ में ख़ंजर / 'अमीर' क़ज़लबाश ग़ज़ल/Ghazal
- हाँ ये तौफ़ीक़ कभी मुझ को / 'अमीर' क़ज़लबाश ग़ज़ल/Ghazal
- हर रह-गुज़र में काह-कशाँ / 'अमीर' क़ज़लबाश ग़ज़ल/Ghazal
- चालीस चोर / दिलावर 'फ़िगार' ग़ज़ल/Ghazal
- काले-सफ़ेद परोंवाला परिंदा और मेरी एक शाम / अख़्तर-उल-ईमान ग़ज़ल/Ghazal
- Sanson Ki Zaroorat Hai Jaise / साँसों की ज़रूरत है जैसे ज़िन्दगी के लिए ग़ज़ल/Ghazal
- Mere Mehboob Tujhe Meri Mohabbat / मेरे मेहबूब तुझे मेरी मोहब्बत की कसम ग़ज़ल/Ghazal
- Maine Poocha Chand Se / मैंने पूछा चाँद से के देखा है कहीं मेरे यार सा हसीं ग़ज़ल/Ghazal
- जब भी उससे हाल-ए-दिल कह आये हैं / 'महताब' हैदर नक़वी ग़ज़ल/Ghazal
- उसे सुनायें कि खुद ही सुने तराना-ए-दिल / 'महताब' हैदर नक़वी ग़ज़ल/Ghazal
- किसी घर में,न माह-ओ-साल में, मौसम में रहते हैं / 'महताब' हैदर नक़वी ग़ज़ल/Ghazal
- ज़मीं का ख़ौफ़ न डर आसमान का होता / 'महताब' हैदर नक़वी ग़ज़ल/Ghazal
- याद महल के वीराने में बाक़ी भी अब क्या होगा / 'महताब' हैदर नक़वी ग़ज़ल/Ghazal
- बाब-ए-रहमत के मीनारे की तरफ़ देखते हैं / 'महताब' हैदर नक़वी ग़ज़ल/Ghazal
- जो हमने ख़्वाब देखे हैं दौलत उसी की है / 'महताब' हैदर नक़वी ग़ज़ल/Ghazal
- तुझे नक़्श-ए-हस्ती मिटाया तो देखा / 'ममनून' निज़ामुद्दीन ग़ज़ल/Ghazal
- तुझे कुछ याद है पहला वो आलम इश्क़-ए-पिन्हाँ का / 'ममनून' निज़ामुद्दीन ग़ज़ल/Ghazal
- तेरे बीमार की शायद विदा-ए-जान है तन से / 'ममनून' निज़ामुद्दीन ग़ज़ल/Ghazal
- रखे है रंग कुछ साक़ी शराब-ए-नाब आतिश का / 'ममनून' निज़ामुद्दीन ग़ज़ल/Ghazal
- रहे है रू-कश-ए-नश्तर हर आबला दिल का / 'ममनून' निज़ामुद्दीन ग़ज़ल/Ghazal
- नूर-ए-मह को शब तह-ए-अब्र-ए-तुनक क्या लाफ़ था / 'ममनून' निज़ामुद्दीन ग़ज़ल/Ghazal
- दूर ऐसे फ़लक-ए-मैहर-ए-जबीं हो जैसे / 'महशर' इनायती ग़ज़ल/Ghazal
- नक़्श दिल पर कैसी कैसी सूरतों का रह गया / 'मुज़फ्फ़र' वारसी ग़ज़ल/Ghazal
- मेरी सोच मुझे किस रुतबे पर ले आई / 'मुज़फ्फ़र' वारसी ग़ज़ल/Ghazal
- लिया जो उस की निगाहों ने जाइज़ा मेरा / 'मुज़फ्फ़र' वारसी ग़ज़ल/Ghazal
- क्या भला मुझ को परखने का नतीजा निकला / 'मुज़फ्फ़र' वारसी ग़ज़ल/Ghazal
- कुछ ऐसा उतरा मैं उस संग-दिल के शीशे में / 'मुज़फ्फ़र' वारसी ग़ज़ल/Ghazal
- ख़ुद मेरी आँखों से ओझल मेरी हस्ती हो गई / 'मुज़फ्फ़र' वारसी ग़ज़ल/Ghazal
- दोनों ही की जानिब से हो गर अहद-ए-वफ़ा हो / 'बेख़ुद' देहलवी ग़ज़ल/Ghazal
- हर एक बात तेरी बे-सबात कितनी है / 'बेख़ुद' देहलवी ग़ज़ल/Ghazal
- झुकी निगह में है ढब पुर्सिश-ए-निहानी का / 'ममनून' निज़ामुद्दीन ग़ज़ल/Ghazal
- जो बाद-ए-मर्ग भी दिल को रही किनार में जा / 'ममनून' निज़ामुद्दीन ग़ज़ल/Ghazal
- कल वस्ल में भी नींद न आई तमाम शब / 'ममनून' निज़ामुद्दीन ग़ज़ल/Ghazal
- खा के कल हो पेच-ओ-ताब उठा जो दिल से नाला था / 'ममनून' निज़ामुद्दीन ग़ज़ल/Ghazal
- दौर आया है शादमानी का / 'महशर' इनायती ग़ज़ल/Ghazal
- बे-रंग थे आरज़ू के ख़ाके / 'महशर' इनायती ग़ज़ल/Ghazal
- अब तो उकता ये गए बहार-ए-सफ़र हम भी चलें / 'महशर' इनायती ग़ज़ल/Ghazal
- आँख में आँसू गुम औसान / 'महशर' इनायती ग़ज़ल/Ghazal
- कब निशाँ मेरा किसी को शब-ए-हस्ती में मिला / 'मुज़फ्फ़र' वारसी ग़ज़ल/Ghazal
- गहराइयों में ज़ेहन की गर्दाब सा रहा / 'मुज़फ्फ़र' वारसी ग़ज़ल/Ghazal
- दिल हो हस्सास तो जीने में बहुत घाटा है / 'मुज़फ्फ़र' वारसी ग़ज़ल/Ghazal
- दीद-ए-संग में बीनाई कहाँ से आए / 'मुज़फ्फ़र' वारसी ग़ज़ल/Ghazal
- हँसते हुए कतरा के गुज़र जाए है मुझ से / 'महशर' इनायती ग़ज़ल/Ghazal
- फ़िक्र-ए-तजदीद-ए-रवायात-ए-कुहन आज भी है / 'महशर' इनायती ग़ज़ल/Ghazal
- फ़रेबों से न बहलेगा दिल-ए-आशुफ़्ता-काम अपना / 'महशर' इनायती ग़ज़ल/Ghazal
- एहसास का सवाल भी लो दूर हो गया / 'महशर' इनायती ग़ज़ल/Ghazal
- कोई हम-दर्द हम-दम न यगाना अपना / 'ममनून' निज़ामुद्दीन ग़ज़ल/Ghazal
- उस गुल को भेजना है मुझे ख़त सबा के हाथ / 'मज़हर' मिर्ज़ा जान-ए-जानाँ ग़ज़ल/Ghazal
- तजल्ली गर तेरी पस्त ओ बुलंद उन को दिखलाती / 'मज़हर' मिर्ज़ा जान-ए-जानाँ ग़ज़ल/Ghazal
- न तू मिलने के अब क़ाबिल रहा है / 'मज़हर' मिर्ज़ा जान-ए-जानाँ ग़ज़ल/Ghazal
- हम ने की है तौबा और धूमें मचाती है बहार / 'मज़हर' मिर्ज़ा जान-ए-जानाँ ग़ज़ल/Ghazal
- चली अब गुल के हाथों से लुटा कर कारवाँ अपना / 'मज़हर' मिर्ज़ा जान-ए-जानाँ ग़ज़ल/Ghazal
- सज्दे जबीन-ए-शौक़ के अब राएगाँ नहीं / 'मख़मूर' जालंधरी ग़ज़ल/Ghazal
- पाबंद-ए-एहतियात-ए-वफ़ा भी न हो सके / 'मख़मूर' जालंधरी ग़ज़ल/Ghazal
- इक परिंदा अभी उड़ान में है / 'अमीर' क़ज़लबाश ग़ज़ल/Ghazal
- जाने ये किस की बनाई हुई / 'अमीर' क़ज़लबाश ग़ज़ल/Ghazal
- बानी-ए-जोर-ओ-जफ़ा हैं सितम-ईजाद / 'अमानत' लखनवी ग़ज़ल/Ghazal
- भूला हूँ मैं आलम को सर-शार इसे / 'अमानत' लखनवी ग़ज़ल/Ghazal
- दिखलाए ख़ुदा उस सितम-ईजाद की / 'अमानत' लखनवी ग़ज़ल/Ghazal
- गिर पड़े दाँत हुए मू-ए-सर ऐ यार / 'अमानत' लखनवी ग़ज़ल/Ghazal
- ख़ाना-ए-ज़ंजीर का पाबंद रहता हूँ / 'अमानत' लखनवी ग़ज़ल/Ghazal
- लुत्फ़ अब ज़ीस्त का ऐ गर्दिश-ए-अय्याम / 'अमानत' लखनवी ग़ज़ल/Ghazal
- रवाँ दवाँ नहीं याँ अश्क चश्म-ए-तर की / 'अमानत' लखनवी ग़ज़ल/Ghazal
- रूह को राह-ए-अदम में मेरा तन याद / 'अमानत' लखनवी ग़ज़ल/Ghazal
- सुब्ह-ए-विसाल-ए-ज़ीस्त का नक़्शा / 'अमानत' लखनवी ग़ज़ल/Ghazal
- न पूछ मंज़र-ए-शाम-ओ-सहर / 'अमीर' क़ज़लबाश ग़ज़ल/Ghazal
- नज़र में हर दुश्वारी रख / 'अमीर' क़ज़लबाश ग़ज़ल/Ghazal
- उन की बे-रुख़ी में भी इल्तिफ़ात / 'अमीर' क़ज़लबाश ग़ज़ल/Ghazal
- यकुम जनवरी है नया साल है / 'अमीर' क़ज़लबाश ग़ज़ल/Ghazal
- बंद आँखों से न हुस्न-ए-शब का / 'अर्श' सिद्दीक़ी ग़ज़ल/Ghazal
- उलझा दिल-ए-सितम-ज़दा ज़ुल्फ़-ए-बुताँ / 'अमानत' लखनवी ग़ज़ल/Ghazal
- ज़मज़मा किस की ज़बाँ पर ब-दिल-ए-शाद / 'अमानत' लखनवी ग़ज़ल/Ghazal
- ऐनक के दोनों शीशे ही अटे हुए थे / 'अमीक' हनफ़ी ग़ज़ल/Ghazal
- बीन हवा के हाथों में है लहरे जादू / 'अमीक' हनफ़ी ग़ज़ल/Ghazal
- कहने को शम्मा-ए-बज़्म-ए-ज़मान / 'अमीक' हनफ़ी ग़ज़ल/Ghazal
- कौन है ये मतला-ए-तख़ईल पर / 'अमीक' हनफ़ी ग़ज़ल/Ghazal
- लम्बी रात से जब मिली उस की / 'अमीक' हनफ़ी ग़ज़ल/Ghazal
- फूल खिले हैं लिखा हुआ है तोड़ो / 'अमीक' हनफ़ी ग़ज़ल/Ghazal
- सावन आया छाने लगे घोर घन / 'अमीक' हनफ़ी ग़ज़ल/Ghazal
- ऐ अब्र-ए-इल्तिफ़ात तिरा ए‘तिबार फिर / अकरम नक़्क़ाश ग़ज़ल/Ghazal
- वो इत्तेफ़ाक़ से रस्ते में मिल गया था मुझे / अख़्तर अंसारी ग़ज़ल/Ghazal
- साफ़ ज़ाहिर है निगाहों से कि हम मरते हैं / अख़्तर अंसारी ग़ज़ल/Ghazal
- बिठाई जाएंगी पर्दे में बीबियाँ कब तक / अकबर इलाहाबादी ग़ज़ल/Ghazal
- हस्ती के शजर में जो यह चाहो कि चमक जाओ / अकबर इलाहाबादी ग़ज़ल/Ghazal
- खुदा परस्त दुआ ढूंढ रहे हैं / अंसार कम्बरी ग़ज़ल/Ghazal
- आईना साफ़ था धुँधला हुआ रहता था मैं / अंजुम सलीमी ग़ज़ल/Ghazal
- जाने ग़ज़ल / मख़दूम मोहिउद्दीन ग़ज़ल/Ghazal
- ऐतबार साजिद ग़ज़ल / Aitbar Sajid Ghazal
- उबैदुल्लाह अलीम ग़ज़ल / Obaidullah Aleem Ghazal
- आदिल मंसूरी ग़ज़ल / Adil Mansuri Ghazal
- अहमद मुश्ताक ग़ज़ल / Ahmad Mushtaq Ghazal
- अहमद फ़राज़ ग़ज़ल / Ahmed Faraz Ghazal
- अहमद नदीम क़ासमी ग़ज़ल / Ahmed Nadeem Qasami Ghazal
- असरार-उल-हक़ मजाज़ ग़ज़ल / Asrar Ul Haq Majaz Ghazal
- अल्लामा इक़बाल ग़ज़ल /Allama Iqbal Ghazal
- अली सरदार जाफ़री ग़ज़ल /Ali Sardar Jafri Ghazal
- अमीर मीनाई ग़ज़ल / Ameer Minai Ghazal
- अख़्तर शीरानी ग़ज़ल / Akhtar Shirani Ghazal
- अकबर इलाहाबादी ग़ज़ल / Akbar Allahabadi Ghazal
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